सीमा पर जारी तनाव को शांत करने के लिए रविवार को भारत और चीन की सेना के बीच एक और दौर की बातचीत हुई। हालांकि पूर्वी लद्दाख में हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं। पिछले हफ्ते चीनी सेना ने पैंगॉन्ग इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था। इसके बाद से ही दोनों ही ओर सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा लगा हुआ है।
सरकार के सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी ने बताया कि चुशुल के पास लगभग 4 घंटे तक चली ब्रिगेड कमांडर लेवल की बातचीत में कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया। भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है और किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार है।
चीन ने 29-30 अगस्त की रात पैंगॉन्ग इलाके में कब्जे की कोशिश की थी
पैंगॉन्ग झील के दक्षिण छोर पर स्थित एक पहाड़ी पर चीन ने 29-30 अगस्त की रात कब्जे की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय जवानों ने चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। उसके बाद 31 अगस्त को चीन ने उकसावे की कार्रवाई की और 1 सितंबर को फिर से घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन चीन हर बार नाकाम रहा। इस बीच भारतीय सेना ने विवादित इलाके में कब्जा करते हुए अपना दबदबा बना लिया।
रूस में हुई थी दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक
गलवान झड़प (15 जून) के बाद पहली बार भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच शुक्रवार को रूस में आमने-सामने बातचीत हुई थी। ढाई घंटे चली ये बैठक शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग के इतर हुई थी। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे से कहा था कि सीमा पर चीन का अपने सैनिकों को बढ़ाना आक्रामक बर्ताव को दिखाता है। यह द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन है।
मई से चीन सीमा पर हालात तनावपूर्ण
15 मई को लद्दाख के गलवान में चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीले तारों से हमला कर दिया था। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में चीन के भी 35 सैनिक मारे गए, पर उसने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की। विवाद को हल करने के लिए बीते महीनों में चीन और भारत के बीच कई बार सैन्य और आधिकारिक स्तर की बातचीत हो चुकी हैं, पर चीन हरकतों से बाज नहीं आ रहा।
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