हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना ने अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाने का प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत नौसेना अगले कुछ सालों में मानवरहित एरियल (ड्रोन) और अंडरवाटर सर्विलांस प्लेटफॉर्म्स की संख्या में बढ़ोतरी करेगी। इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से न्यूज एजेसी PTI ने ये जानकारी दी है।
नेवल कमांडर्स की कॉन्फ्रेंस में मिली मंजूरी
PTI ने अपनी रिपोर्ट में कहा, मानवरहित प्लेटफॉर्म संबंधी रोडमैप के तहत यह खरीद की जाएगी। पिछले महीने शीर्ष नेवल कमांडर्स की एक कॉन्फ्रेंस में इसे फाइनल किया गया था। कॉन्फ्रेंस में नए जमाने के प्लेटफॉर्म्स की खरीद की आवश्यकता पर चर्चा की गई थी।
महत्वपूर्ण जलमार्गों की निगरानी बढ़ाने पर फोकस
मामले से जुड़े एक अन्य व्यक्ति ने कहा, 'हिंद महासागर क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम को देखते हुए मुख्य फोकस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलमार्गों की निगरानी बढ़ाने पर होगा।' उन्होंने कहा कि नेवी लॉन्ग रेंज एंटी सबमरीन वॉरफेयर (ASW) और सर्विलांस के क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाना चाहती है।
30 मल्टी-मिशन आर्म्ड प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर जोर
मामले से जुड़े लोगों ने कहा, भारतीय नौसेना अमेरिका से 30 मल्टी-मिशन आर्म्ड प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर जोर दे रही है, जिस पर लगभग 22,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अगले साल मार्च तक सौदे को मंजूरी दे सकती है। यह ड्रोन सर्विलांस का काम करने के साथ ही मिसाइल फायर करने में भी सक्षम होते हैं।
MQ-9B लॉन्ग-एंड्यूरेंस ड्रोन खरीद की मंजूरी जल्द
अगले महीने तक डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) से हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस MQ-9B लॉन्ग-एंड्यूरेंस ड्रोन के एक्विजिशन के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल सकती है।
तीनों सेवाओं को 10-10 ड्रोन
भारतीय नौसेना ने इस खरीद प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है, लेकिन फिर भी तीनों सेवाओं में से प्रत्येक को 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना है।
ड्रोन लगभग 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम
यूएस डिफेंस मेजर जनरल एटॉमिक्स के निर्मित रिमोटली पायलटेड ड्रोन लगभग 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम हैं। इन ड्रोन्स को खुफिया जानकारी एकत्र करने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई मिशनों पर तैनात किया जा सकता है।
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