भारत की राइटर गीतांजलि श्री ने इस साल का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज जीता है। उनके उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। गीतांजलि श्री का उपन्यास हिंदी में ‘रेत समाधि’ नाम से पब्लिश हुआ था। खास बात यह है कि टॉम्ब ऑफ सैंड बुकर जीतने वाली हिंदी भाषा की पहली किताब है। साथ ही यह किसी भी भारतीय भाषा में अवॉर्ड जीतने वाली पहली किताब भी है।
लंदन में गुरुवार को लेखिका गीतंजलि श्री को बुकर अवॉर्ड दिया गया। गीतांजलि को 50 हजार पाउंड की इनाम राशि मिली, जिसे वो डेजी रॉकवेल के साथ साझा करेंगी। इसका अंग्रेजी अनुवाद अमेरिकन राइटर-पेंटर डेजी रॉकवेल ने ही किया था। गीतांजलि श्री का उपन्यास दुनिया की उन 13 पुस्तकों में शामिल था, जिन्हें पुरस्कार की लिस्ट में शामिल किया गया था। पुरस्कार की घोषणा 7 अप्रैल 2022 में लंदन बुक फेयर में की गई थी, लेकिन विजेता का ऐलान अब हुआ।
कभी नहीं सोचा था बुकर प्राइज मिलेगा
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की गीतांजलि श्री को पुरस्कार मिला, तब खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा- मैंने बुकर का सपना कभी नहीं देखा था। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैं चकित हूं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। उन्होंने कहा- हिंदी-अंग्रेजी और फ्रेंच पब्लिशर्स सहित में अपनी फ्रेंच अनुवादक एनीमांतो की आभारी हूं।
गीतांजलि श्री अब तक तीन उपन्यास और कथा संग्रह लिख चुकी हैं। उनके उपन्यासों और कथा संग्रह को अंग्रेजी, जर्मन, सर्बियन, फ्रेंच और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
क्या है 'रेत समाधि' की कहानी
रेत समाधि एक अस्सी साल की महिला की कहानी है, जो विभाजन का दर्द सहती है। वह कई तकलीफें उठाकर पाकिस्तान तक का सफर तय करती है। जूरी ने इस उपन्यास को भावनाओं का समंदर कहा। जूरी ने माना कि इसमें एक औरत की भावनाओं को पूरे दर्द के साथ लिखा गया है। इसे हर पाठक महसूस कर सकता है।
लंदन पुस्तक मेले में ये किताबें शार्टलिस्ट हुई थीं
बुकर पुरस्कार को जानिए
बुकर पुरस्कार का पूरा नाम मैन बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन है। इसकी स्थापना 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी ने की थी। इसमें विजेता को 60 हजार पाउंड की रकम दी जाती है। ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित या अंग्रेजी में ट्रांसलेट की गई किसी एक किताब को हर साल ये खिताब दिया जाता है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।
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