जम्मू-कश्मीर की सियासत में महाराजा की एंट्री हो गई है। भाजपा ने आखिरी डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर सरकारी अवकाश घोषित कराने की तैयारी की है। यह आजाद भारत में संभवत: पहला मौका होगा, जब किसी राजा के जन्मदिन पर सरकारी अवकाश होगा।
अवकाश की अधिसूचना जल्द जारी हो: रविंद्र रैना
राजपूत समाज ने इस मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे रखी है। इसे देखते हुए भाजपा के स्थानीय नेताओं ने जम्मू की सिविल सोसाइटी और व्यापारिक संगठनों के साथ बैठकें की थीं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि BJP ने विलय दिवस (26 अक्टूबर) पर सरकारी अवकाश करवाया। हमारी कोशिश है कि महाराजा के जन्मदिन (23 सितंबर) पर अवकाश की अधिसूचना जल्द जारी हो। एलजी ने हमें आश्वासन दे दिया है। जम्मू जश्न मनाने की तैयारी करे।
पीडीपी नहीं चाहती थी महाराजा की जयंती पर छुट्टी
रविंद्र रैना ने आगे कहा कि कश्मीर में महाराजा के खिलाफ बगावत करने वालों की याद में शहीदी दिवस मनाया जाता रहा है। अवकाश भी घोषित होता रहा है। यही वजह है कि भाजपा-पीडीपी की गठबंधन सरकार के दौरान भी पीडीपी महाराजा की जयंती पर छुट्टी को लेकर राजी नहीं हुई थी।
महाराजा गुमनामी में चले गए थे, 2012 में पहली प्रतिमा लगी
महाराजा हरि सिंह को 1949 में शेख अब्दुल्ला के साथ मतभेदों के चलते राज्य से दूर होना पड़ा था। विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने और राज्य को भारत में मिलाने के बाद वह गुमनामी में जिए। 1961 में 66 साल की उम्र में मुंबई में निधन हुआ। जम्मू में महाराजा की एक भी प्रतिमा नहीं थी। अप्रैल 2012 में डॉ. कर्ण सिंह, उनके बेटे अजातशत्रु और गुलाम नबी आजाद ने प्रतिमा का अनावरण किया था।
जम्मू-कश्मीर की हिंदू आबादी में 27% राजपूत
भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार में रहते हुए 2017 में भी यह कोशिश की थी। अनुच्छेद-370 निरस्त होने के बाद फिर इस मांग ने तूल पकड़ा था। लेकिन, अंतिम फैसला नहीं हो पाया। अब राजपूत समाज आंदोलन करने की बात कह चुका है। बीते दिनों राजपूत सभा के मंच से भाजपा नेताओं को घेरा गया। कांग्रेस ने भी समर्थन दिया। इसलिए, बड़े वोट बैंक के नाराज होने के डर से भाजपा ने यह फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर में 28.33% हिंदू और 68.34% मुस्लिम हैं। हिंदुओं में 27% राजपूत हैं। इसलिए यह बड़ा सियासी दांव साबित हो सकता है।
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