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पहली आयुर्वेदिक दवा के लिए चुना गया निम्स:प्रदेश का पहला निजी अस्पताल जिसमें पहले क्वारैंटाइन सेंटर, फिर कोरोना मरीजों का इलाज शुरू हुआ

जयपुर3 वर्ष पहलेलेखक: विष्णु शर्मा
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कोरोना के उपचार के लिए पहली आयुर्वेदिक दवा लांच करते हुए बाबा रामदेव, निम्स के चेयरमेन डॉ. बीएस तोमर व बाबा बालकृष्ण - Dainik Bhaskar
कोरोना के उपचार के लिए पहली आयुर्वेदिक दवा लांच करते हुए बाबा रामदेव, निम्स के चेयरमेन डॉ. बीएस तोमर व बाबा बालकृष्ण
  • योग गुरु रामदेव ने कोरोनिल टैबलेट लॉन्च की, दावा- क्लीनिकल ट्रायल में 7 दिन में 100% मरीज ठीक हुए
  • जयपुर में दिल्ली हाइवे पर चंदवाजी में स्थित निम्स में भर्ती मरीजों पर किया गया था औषधि का ट्रायल
  • यहां करीब 400 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती किया गया है, अब भी 45 पॉजिटिव का उपचार जारी

योग गुरु रामदेव ने कोरोना के उपचार के लिए पहली आयुर्वेदिक दवा बनाने का दावा किया है। मंगलवार को बाबा रामदेव ने कोरोनिल नाम से आयुर्वेद टैबलेट लॉन्च की है। इस दवा को पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (निम्स) यूनिवर्सिटी, जयपुर ने मिलकर तैयार किया है। इस बीच निम्स के चेयरमेन डॉ. बीएस तोमर और अन्य प्रमुख चिकित्सक भी मौजूद रहे।

इस लॉचिंग के बाद हमने पड़ताल कर जाना कि आखिर क्यों पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने देशभर में सिर्फ जयपुर में स्थित निजी हॉस्पिटल निम्स को चुना। इसमें सबसे अहम बात सामने आई कि महज ढाई माह के वक्त में इस दवा को तैयार कर मरीजों के उपचार के लिए लांच किया गया। यहां अप्रैल की शुरुआत में पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम पहुंच गई थी। इसके बाद निम्स में चेयरमेन डाॅ. बीएस तोमर से मुलाकात कर मरीजों का हाल जाना गया। इस बीमारी पर रिसर्च शुरु हुआ। इसके बाद क्लीनिकल केस ट्रायल के लिए 280 मरीजों को चुना गया। इसके बाद दावा है कि यह प्रयोग सफल रहा।

जयपुर में दिल्ली हाइवे पर चंदवाजी में स्थित निम्स हॉस्पिटल (फाइल फोटो)
जयपुर में दिल्ली हाइवे पर चंदवाजी में स्थित निम्स हॉस्पिटल (फाइल फोटो)

राज्य सरकार ने सबसे पहले क्वारेंटाइन सेंटर के लिए चुना था, फिर उपचार की अनुमति दी

आपको बता दें कि जयपुर शहर में 2 मार्च को सबसे पहले इटली का पर्यटक कोरोना पॉजिटिव आया था। इसके बाद 19 मार्च को राज्य सरकार ने लॉकडाउन का आदेश जारी किया। इस बीच जयपुर जिले के निजी हॉस्पिटलों को कोरोना पेशेंट के क्वारेंटाइन रखने के लिए वार्ड उपलब्ध करवाने का आदेश जारी किया गया। इसमें एक नाम जयपुर-दिल्ली हाइवे पर चंदवाजी में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (निम्स) यूनिवर्सिटी का भी था। बड़ा अस्पताल होने से यहां बेड्स की संख्या भी ज्यादा थी।

निम्स के डायरेक्टर डॉ. अनुराग तोमर के मुताबिक जयपुर में ओमान से आया रामगंज निवासी एक व्यक्ति 25 मार्च को पॉजिटिव पाया गया था। इसके बाद यहां क्वारेंटाइन सेंटर में पॉजिटिव आए मरीज के संपर्क में आए लोगों को क्वारेंटाइन के लिए भेजा गया। जिनकी ठीक से देखभाल की गई। इसी बीच चेयरमेन डॉ. बीएस तोमर ने राज्य सरकार व चिकित्सा विभाग से कोरोना पॉजिटिव मरीजों के उपचार के लिए सहमति दी। इसके बाद पॉजिटिव मरीजों को निम्स में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में रखा गया।

डॉ. अनुराग ने बताया कि उनके यहां करीब 400 पॉजिटिव मरीज भर्ती हो चुके है। इनमें काफी मरीज रिकवर होने के बाद डिस्चार्ज हो चुके है। वर्तमान में यहां 45 कोविड पेंशट भर्ती है। उनका दावा है कि देशभर में निम्स हॉस्पिटल ऐसे निजी अस्पतालों में से एक था, जिसने कोरोना पेशेंट का उपचार शुरु किया। यहां आइसोलेशन वार्ड बनाया गया। ऐसे में यहां मरीज काफी संख्या में था। इसलिए पतंजलि रिसर्च सेंटर ने निम्स को पहली आयुर्वेदिक दवा बनाने व ट्रायल में निम्स हॉस्पिटल का सहयोग लिया।  

पहले तीन दिन में 69 प्रतिशत मरीज पॉजिटिव से नेगेटिव

लॉचिंग में रामदेव ने दावा किया कि कोरोनिल की क्लीनिकल केस स्टडी में जयपुर में दिल्ली हाइवे पर चंदवाजी में स्थित निम्स में भर्ती 280 मरीजों को शामिल किया। जिसमें उपचार के लिए भर्ती 100 मरीजों के ऊपर क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल की गई। इसमें 3 दिन के अंदर 69% मरीज पॉजिटिव से निगेटिव हो गए और 7 दिन के अंदर 100% रोगी ठीक हो गए। कोरोना पॉजिटिव मरीजों का डेथ रेट भी 0% रहा।8