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कांग्रेस के बिना कोई अपोजिशन फ्रंट संभव नहीं:जयराम रमेश ने कहा- मजबूत विपक्ष लोकतंत्र की निशानी, पर हमें बोलने नहीं दिया जाता

नई दिल्ली13 दिन पहले
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जयराम रमेश ने कहा कि 2024 के चुनावों के लिए फ्रंट बनाना अभी जल्दीबाजी है। अभी हमारा फोकस राज्यों पर है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक इंटरव्यू में संसद में कांग्रेस के मुद्दों और TMC-समाजवादी पार्टी के थर्ड फ्रंट को लेकर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बिना कोई अपोजिशन फ्रंट दमदार नहीं है। आप कितने भी फ्रंट बना लीजिए, उनमें कांग्रेस का होना जरूरी है।

वहीं, संसदीय कार्यवाही को लेकर जयराम ने कहा कि संसद में विपक्ष को बोलने की इजाजत होनी चाहिए। ये लोकतंत्र की बुनियाद है, पर हमें बोलने ही नहीं दिया जाता है। ये बातें उन्होंने न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में कहीं।

लोग मिलते रहते हैं, फ्रंट बनते रहते हैं
जयराम ने कहा कि TMC, समाजवादी का मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे तो लोग मिलते रहते हैं, फ्रंट बनते रहते हैं। थर्ड फ्रंट, फोर्थ फ्रंट, फिफ्थ फ्रंट बनता रहेगा पर विपक्ष में कांग्रेस का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष का संगठन बनता है तो उसमें कांग्रेस की भूमिका अहम होगी। कांग्रेस के बिना कोई अपोजिशन फ्रंट संभव ही नहीं है।

और 2024 के चुनावों के लिए फ्रंट बनाना बहुत जल्दीबाजी है। अभी कर्नाटक में चुनाव हैं, फिर तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम में चुनाव होंगे। 2023 में हम राज्यों के चुनाव में व्यस्त रहेंगे। 2024 के बारे में बाद में देखेंगे। अभी तो बैठकें होती रहेंगी।

जयराम ने कहा कि TMC, समाजवादी का मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे तो लोग मिलते रहते हैं, फ्रंट बनते रहते हैं।
जयराम ने कहा कि TMC, समाजवादी का मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे तो लोग मिलते रहते हैं, फ्रंट बनते रहते हैं।

विपक्ष को बोलने नहीं दिया जाएगा, तो डेमोक्रेसी कैसी बचेगी?
अगर अपोजिशन को बोलने ही नहीं दिया जाएगा तो डेमोक्रेसी कैसी बचेगी? अगर कम अवधि की बैठकें नहीं होंगी, अगर मोशन अडजर्नमेंट का नोटिस देने की इजाजत नहीं होगी, अगर हमें अडाणी मुद्दे पर, चीन पर, आर्थिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करने दी जाएगी तो डेमोक्रेसी कैसी कह सकते हैं आप?

संसदीय लोकतंत्र का पहला नियम होता है कि विपक्ष अपना मत रखेगा और सत्ता पक्ष अपने हिसाब से काम करेगा। हम ये अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे परा सदन में बहुत कम सांसद हैं, लेकिन हमें परेशानी इस बात की है कि सरकार हमें हमारी बात कहने भी नहीं देती है।

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