जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने वालों पर अब सरकार सख्त एक्शन लेने के मूड में है। रविवार को प्रशासन ने एक आदेश जारी किया। इसके मुताबिक, पत्थरबाजी करते हुए पकड़े जाने पर पासपोर्ट नहीं मिलेगा। ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई भी नहीं कर सकेंगे।
अधिकारियों के मुताबिक, कश्मीर CID की स्पेशल ब्रांच ने सभी सिक्योरिटी यूनिट को एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के जिस व्यक्ति को भी पत्थरबाजी करते पकड़ा जाए, उसे किसी तरह का सिक्योरिटी क्लियरेंस न दिया जाए। पत्थरबाजी के आरोप लगने पर डिजिटल सबूत (वीडियो या फोटो) और पुलिस रिकॉर्ड्स की भी जांच की जाएगी।
ये जानकारियां देना जरूरी
राज्य का मूल निवासी बनने के लिए 15 साल रहना जरूरी
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह आदेश भी दिया था कि राज्य में जन्म लेने वाली महिला के पति को भी मूल निवासी का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने निवासी प्रमाण-पत्र देने का नियम भी बदल दिया था। नए नियम के मुताबिक राज्य में 15 साल या इससे ज्यादा समय तक रहने वाले व्यक्ति को वहां का मूल निवासी माना जाएगा।
आर्टिकल 370 हटने के बाद कम हुई पत्थरबाजी
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया था। इसके बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी देखी गई है। 2019 में पथराव की 1999 घटनाएं हुई थीं। 2020 में ये घटकर 255 बार ही हुईं। 2021 में 2 मई को पुलवामा के डागरपोरा में मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को बचाने के लिए लोगों ने पथराव किया था। इसके बाद बारपोरा में 12 मई को भी नकाबपोशों ने पथराव किया। इसके अलावा पत्थरबाजी की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। इससे पहले 2018 में 1458 और 2017 में 1412 घटनाएं सामने आई थीं।
एक पत्थरबाज को CRPF ने बोनट पर बांधा था
9 अप्रैल 2017 को श्रीनगर बाई पोल के दौरान हिंसा भड़की थी। इसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी। एक पत्थरबाज को सीआरपीएफ ने जीप के बोनट में बांध दिया था। फोर्स ने कहा था कि पत्थरबाजी से बचने के लिए ऐसा किया।
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