श्रीनगर के हैदरपोरा में दो दिन पहले हुए एनकाउंटर में मारे गए युवक के पिता ने सुरक्षाबल की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। वे दावा कर रहे हैं कि उनका बेटा आतंकी नहीं, बेगुनाह था। वह एक दुकान पर मजदूरी करता था। 15 नवंबर को हुए इस एनकाउंटर में 2 आतंकी और उनके 2 मददगार मारे गए थे।
2005 में घरबार छोड़कर भागना पड़ा
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक मारे गए आतंकी आमिर के पिता अब्दुल लतीफ मागरे ने बताया कि 2005 में मेरे भाई को आतंकियों ने मार दिया था। इसके बाद मैंने खुद एक आतंकी को पत्थर से कुचलकर अपने हाथों से मार डाला। मुझे सेना की तरफ से प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। हमें 11 साल तक अपना घरबार छोड़कर दर-दर भटकना पड़ा।
आतंक के खिलाफ लड़ाई का इनाम मिला
अब्दुल लतीफ ने आगे कहा कि मैंने अपने बच्चों को बमुश्किल पाला, लेकिन इस सब का मतलब क्या हुआ। मेरे बेटे पर आतंक का लेबल लगाकर उसे मार दिया गया। दफनाने के लिए बेटे का शव भी नहीं दिया। आतंक के खिलाफ मेरी लड़ाई का यह इनाम मिला। मेरे घर पर आज भी पुलिस का पहरा है। कल को सुरक्षाबल मुझे भी मारकर आतंकी घोषित कर सकते हैं।
पुलिस ने कहा- आमिर हाइब्रिड आतंकी था
कश्मीर पुलिस का कहना है कि आमिर लतीफ मागरे एक हाइब्रिड आतंकी था। ऐसे आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद रोजमर्रा के काम में लग जाते हैं। पुलिस को इन्हें पहचानने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। पुलिस के मुताबिक बनिहाल का रहने वाला आमिर आतंकियों का स्थानीय सहयोगी था।
एनकाउंटर में मारे गए थे 4 कश्मीरी
श्रीनगर के हैदरपोरा में 15 नवंबर को मुठभेड़ में 2 स्थानीय कारोबारियों सहित 4 कश्मीरियों की मौत हुई थी। ऑपरेशन में मारे गए डॉ. मुदसिर गुल और अल्ताफ भट्ट की वहां स्थित एक कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में दुकानें थीं। डेंटल सर्जन मुदस्सिर गुल इस कॉम्प्लेक्स में कंप्यूटर सेंटर चलाता था। वहीं अल्ताफ इस कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स का मालिक था और वहां हार्डवेयर और सीमेंट की दुकान चलाता था। अल्ताफ अहमद भट्ट आतंकियों की मदद करता था, तो वहीं डॉ. मुदस्सिर गुल आतंकियों का ओवर ग्राउंड वर्कर था, जिसने उन्हें रहने के लिए जगह दी थी। कश्मीर के IGP विजय कुमार ने दावा किया था कि मारे गए 2 आतंकियों में एक पाकिस्तान का नागरिक हैदर था।
परिवार का आरोप- सुरक्षाबलों ने आम लोगों को मारा
IGP विजय कुमार ने बताया था कि कि दोनों क्रॉस फायरिंग में मारे गए हैं। हालांकि पुलिस का ये भी कहना है कि डॉ. मुदस्सिर गुल आतंकियों के लिए कॉल सेंटर चलाता था। इस कॉल सेंटर का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को ऑपरेट करने के लिए किया जाता था। कुमार ने बताया कि हमने शवों को दफनाने के लिए मुदस्सिर और अल्ताफ के परिवार से संपर्क किया था, क्योंकि हम कानून व्यवस्था के चलते शव परिवारों को नहीं सौंप सकते थे। हम शवों को हंदवाड़ा ले गए, जहां उन्हें दफना दिया गया।
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