कर्नाटक में लीडरशिप में बदलाव को लेकर अगले कुछ घंटे काफी अहम होंगे। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने रविवार देर शाम कहा, 'मैं मुख्यमंत्री के पद पर बना रहूंगा या नहीं, यह सोमवार तक पता चल जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व से अभी कोई संदेश नहीं मिला है।'
हालांकि रविवार को इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। लेकिन येदियुरप्पा ने जोर देकर कहा कि वे अगले 10-15 साल तक बीजेपी के काम करते रहेंगे। इस बीच नए मुख्यमंत्री को लेकर अटकलें जोरों पर हैं। राज्य में अब दलित वर्ग से मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है।
पिछले कई हफ्तों से येदियुरप्पा को पद से हटाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इन सब के बीच उन्होंने 22 जुलाई को कहा था कि उन्हें अब तक इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया है। यहां हमारी सरकार के दो साल पूरे होने पर 26 जुलाई को एक कार्यक्रम है। इसके बाद जो भी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तय करेंगे, मैं उसका पालन करूंगा।
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16 जुलाई को अचानक PM मोदी से मिलने पहुंचे थे
इससे पहले येदियुरप्पा ने 16 जुलाई को दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अचानक हुई इस मुलाकात ने येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलों को हवा दे दी थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी।
येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलें क्यों?
बंगाल के राज्यपाल पद का ऑफर ठुकराया
सूत्रों की माने, तो येदियुरप्पा को पश्चिम बंगाल में गवर्नर का पद भी ऑफर किया गया, लेकिन येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री मोदी से साफ कहा कि आप चाहें तो इस्तीफा ले लें, लेकिन पश्चिम बंगाल में गवर्नर का पद स्वीकार्य नहीं है। दरअसल, येदियुरप्पा कर्नाटक की राजनीति से तब तक रिटायरमेंट नहीं चाहते, जब तक वे अपने बेटे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित न करवा लें।
क्या भाजपा के पास कर्नाटक में येदियुरप्पा का विकल्प नहीं?
येदियुरप्पा पहले दिखा चुके हैं अपनी राजनीतिक हैसियत
येदियुरप्पा ने 31 जुलाई 2011 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक जनता पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। दरअसल, येदियुरप्पा के इस कदम के पीछे लोकायुक्त द्वारा अवैध खनन मामले की जांच थी। इसी जांच में येदियुरप्पा का नाम सामने आया था। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था। 2014 में येदियुरप्पा फिर भाजपा में शामिल हो गए।
इसके बाद 2018 में कर्नाटक में सियासी नाटक के दौरान पहले ढाई दिन के लिए मुख्यमंत्री बने और इमोशनल स्पीच के बाद सत्ता छोड़ दी। फिर दोबारा 2019 में बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया ने भी आलाकमान के सामने येदियुरप्पा का कद बढ़ा दिया था।
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