घाटी में 18 दिन से कश्मीरी पंडितों का आंदोलन चल रहा है। प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले पंडित काम का बहिष्कार कर प्रदर्शन कर रहे हैं। घाटी में सबसे लंबे समय तक चलने वाला ये प्रदर्शन बन चुका है। रेवन्यू विभाग के कर्मचारी राहुल भट की हत्या के बाद प्रदर्शन शुरू हुआ था।
काम करने वाले कश्मीरी पंडितों की मांग है कि हमें कश्मीर के बाहर पोस्टिंग दी जाए। उन्होंने कहा कि हम कैदियों जैसी जिंदगी नहीं जीना चाहते, इसीलिए हमें कश्मीर से शिफ्ट करो। एलजी, उनके सलाहकार, आईजीपी और अन्य अफसरों ने सड़क पर बैठे कश्मीरी पंडितों से कई बार बातचीत कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद पंडितों का विरोध जारी है।
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3 दशक बाद भी हत्याएं जारी हैं
घाटी में प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित- हम इस देश में दंडित हैं, हम कश्मीरी पंडित हैं…और घाटी से बाहर पोस्टिंग ही समाधान.. जैसे नारे लगा रहे हैं। एक पंडित ने कहा कि हम यहां नौकरी करने आए थे, पर 3 दशक बाद भी हत्याएं जारी हैं।
प्रदर्शनकारी करुणा ने कहा- प्रशासन के कई दावे हैं, पर जमीन पर कुछ नहीं हो रहा। वादा था कि वे हमें घर और दफ्तर में सुरक्षा देंगे, पर दफ्तरों में ही हत्या हो रही हैं। हमें बाजार, बच्चों को स्कूल जाना है, कैसे जाएं? हम कैदियों जैसी जिंदगी नहीं जीना चाहते? एक अन्य पंडित कहते हैं- सबकी सुरक्षा संभव नहीं है। इसलिए हमें शिफ्ट करें।
हालात:- 1 क्वार्टर में 5 परिवारों की साझा रसोई, कहीं एक फ्लैट में 3 परिवार
सिर्फ 1,037 के पास आवास: प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम करने वाले 5 हजार कर्मचारियों में से 1,037 ही सरकारी आवास में रहते हैं। अवतार कृष्ण 2010 बैच के कर्मचारी हैं। जिस एक कमरे के फ्लैट में रह रहे हैं, उसे वे कबूतरखाना कहते हैं। अनंतनाग के मट्टन में 18 क्वार्टर हैं, जिनमें 90 परिवार रह रहे हैं।
बच्चों ने स्कूलों के बाहर का कश्मीर नहीं देखा: एक कर्मचारी बताते हैं- ‘मेरा बेटा 12वीं में है। अब वह यहां नहीं रहेगा। 12 साल से उसके जैसे सैकड़ों पंडित बच्चों ने घर और स्कूल के अलावा बाहर कुछ भी नहीं देखा है। उनकी जिंदगी शुरू से ही सख्त पाबंदियों में है। ऐसे में उनकी ओवर ऑल डेवलपमेंट प्रभावित हुई है।
कॉलोनियों में अंधेरा: पंडितों के लिए बनी कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। अधिकांश में बिजली, सड़क और अन्य सुविधाओं की कमी है। एक कर्मचारी ने बताया कि ऐसी स्थिति में जब हम जोखिम में होते हैं, बिजली भी नहीं होती है। अंधेरे में खतरा और बढ़ जाता है। कॉलोनियों से बदबू आती है।
पति-पत्नी अलग-अलग जिलों में: एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि वे अनंतनाग में तैनात हैं और पत्नी कुपवाड़ा में। कई बार लगता है कि कोई एक नौकरी छोड़ दे। हालांकि, हमें सरकार की उस घोषणा से उम्मीद है, जिसमें कहा गया था कि पति-पत्नी कर्मचारियों को एक ही जिले में तैनात किया जाएगा।
आधी सैलरी किराये में जा रही: कश्मीर में किराया अन्य राज्यों से ज्यादा है। कर्मचारी अनिल ने बताया- नए कर्मियों को 15 हजार रुपए. वेतन मिलता है। 7,000 रुपए किराए में चले जाते हैं। क्या खाएं, क्या बचाएं? इस्तीफा सौंप दिया है। हमें कश्मीर छोड़ना है।
रिटायरमेंट के बाद कहां रहेंगे,पता नहीं: पैकेज के तहत भर्ती पहला पंडित कर्मचारी 2023 में सेवानिवृत्त होगा। सेवानिवृत्ति के बाद कश्मीर से बाहर जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा। वह यहां कैसे रहेगा? इसी तरह हम सब रिटायर होकर चले जाएंगे।
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