दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को NCP अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की। मीटिंग में पवार ने कहा कि वे केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार का समर्थन करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि अगर सभी गैर-भाजपा पार्टियां साथ आ जाएं तो राज्यसभा में अध्यादेश को पास होने से रोक सकती हैं। उन्होंने कहा कि वे शुक्रवार को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात का समय मांगेंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को आदेश दिया था कि दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेंगे। इसके बाद, केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर ये अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए थे। केजरीवाल इसके विरोध में विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने के लिए देश भर के विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं।
पवार बोले- सभी पार्टियों का AAP का समर्थन करना चाहिए
केजरीवाल से मीटिंग के बाद शरद पवार ने कहा कि चुनी हुई सरकारों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। सभी विपक्षी पार्टियों को इस मामले में AAP का समर्थन करना चाहिए। केजरीवाल को सभी पार्टियों से मिलकर उन्हें राजी करना चाहिए, चाहे वह कांग्रेस हो या बीजू जनता दल। यह करना हमारी जिम्मेदारी है। संसदीय लोकतंत्र की रक्षा होनी चाहिए।
तीन तरीकों से गैर भाजपा सरकारों को रोकती है BJP
केजरीवाल ने कहा कि अगर किसी राज्य की जनता गैर-भाजपा सरकार को चुनती है तो भाजपा उस सरकार को गिराने के लिए 3 तरीके अपनाती है। पहला- उनके विधायकों को खरीद लेती है। दूसरा- ED और CBI का जर दिखाती है। तीसरा- अध्यादेश लेकर आती है, जिससे चुनी हुई सरकार अपना काम ना कर पाए।
AAP का 11 जून को रामलीला मैदान में शक्ति प्रदर्शन
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी 11 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली कर शक्ति प्रदर्शन करेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, महारैली में विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की तैयारी है। गोपाल राय ने बताया कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने संविधान का मजाक बना दिया है यह महारैली इसके खिलाफ है।
ममता-नीतीश से मिल चुके हैं केजरीवाल
अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए केजरीवाल उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार से भी मिल चुके हैं। सभी नेताओं ने संसद में केजरीवाल का समर्थन करने की बात कही है।
उधर, केजरीवाल के समर्थन को लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आई। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल अध्यादेश के खिलाफ AAP को समर्थन देने की बात कही। वहीं, दिल्ली में पार्टी के नेता अजय माकन ने समर्थन से इनकार किया। अब इस मुद्दे पर AAP और कांग्रेस के नेताओं में बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है।
अन्य राज्यों में भी अध्यादेश ला सकती है भाजपा: सौरभ भारद्वाज
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को दावा किया कि केंद्र भविष्य में कर्नाटक और अन्य राज्यों में सेवाओं के नियंत्रण पर भी अध्यादेश ला सकती है। अजय माकन कर्नाटक में जीत पर खुश हो रहे, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि केंद्र कल कर्नाटक में इसी तरह का अध्यादेश ला सकता है और वहां पुलिस की शक्तियां छीन सकता है, तब वे क्या करेंगे?
सौरभ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि केंद्र अन्य राज्यों में इस तरह का अध्यादेश नहीं ला सकता है और राज्य सरकार के कानूनों और शक्तियों को संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित है। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। इसकी शक्तियां संसद से दी या ली जा सकती हैं।
21 मई: नीतीश से मिले अरविंद केजरीवाल
20 मई को केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अध्यादेश लाई थी। इसके बाद 21 मई को नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। नीतीश ने केजरीवाल का समर्थन किया था। तब केजरीवाल ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार मानसून सत्र में इस अध्यादेश का बिल लाती है और सभी विपक्षी दल इसका विरोध करते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा खत्म हो जाएगी।
केजरीवाल ने नीतीश कुमार से कहा था कि वे विपक्षी दलों से हमारा समर्थन करने को कहें। मैं भी देशभर में विपक्षी दलों से मुलाकात कर समर्थन मांगूंगा।
22 मई: राहुल गांधी और खड़गे से मिले नीतीश
बिहार के सीएम नीतीश इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिले थे। इसके बाद खबरें सामने आई थीं कि कांग्रेस भी इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार का समर्थन करने पर सहमत है।
23 मई: बंगाल CM से मिले अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल ने 23 मई को बंगाल की CM ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद दोनों ने एक साथ मीडिया से बात की। ममता ने कहा- केंद्र सरकार को घमंड हो गया है। वे क्या सोचते हैं, क्या हम उनके बंधुआ मजदूर हैं, नौकर हैं। हमे तो इस बात की चिंता है कि कहीं वे देश का संविधान ही न बदल डालें। वे संविधान को ध्वस्त करना चाहते हैं। केवल सुप्रीम कोर्ट ही देश को बचा सकता है। पढ़ें पूरी खबर...
24 मई: केजरीवाल शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से मिले
दिल्ली के CM ने 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। इस मौके पर उद्धव ने कहा कि हम संविधान को बचाने साथ आए हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने वादा किया है कि संसद में हमारा साथ देंगे और अगर ये बिल संसद में पास नहीं हुआ तो 2024 में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आ पाएगी। पढ़ें पूरी खबर...
दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच पावर पॉलिटिक्स को लेकर कब क्या हुआ...
11 मई: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा- दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे LG
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा। 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे। पूरी खबर पढ़ें...
12 मई: केजरीवाल सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी का ट्रांसफर किया, LG ने रोका
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फैसले के एक दिन बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्विस सेक्रेटरी आशीष मोरे को हटा दिया। दिल्ली सरकार का आरोप है कि LG ने इस फैसले पर रोक लगा दी है। LG सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऐसा कर रहे हैं। यह कोर्ट के आदेश की अवमानना है। हालांकि बाद में LG ने फाइल पास कर दी। पूरी खबर पढ़ें...
19 मई: केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया। अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा। पूरी खबर पढ़ें...
20 मई: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई
दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर उपराज्यपाल और अरविंद केजरीवाल सरकार की लड़ाई फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाने के ठीक एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची। केंद्र ने संवैधानिक बेंच द्वारा दिए गए 11 मई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करने की अपील की है।
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