केरल हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और केरल के इसके पूर्व महासचिव पर 5.2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इन्हें आदेश दिया है कि यह राशि राज्य के गृह विभाग के पास जमा कराएं। बीते दिनों PFI के प्रदर्शनों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया।
दरअसल, 22 सितंबर को PFI के ठिकानों पर NIA की रेड के बाद संगठन ने 23 सितंबर को केरल बंद बुलाया था। इस दिन मचे उपद्रव के चलते राज्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। केरल स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (KSRTC) ने इस नुकसान की अनुमानित कीमत 5.2 करोड़ आंकी थी।
KSRTC ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके बताया था कि इस हड़ताल की उन्हें पहले से सूचना नहीं दी गई थी, जिसके चलते हड़ताल के दौरान उनकी बसें क्षतिग्रस्त हुईं और पैसेंजर्स भी बसों में नहीं बैठे। इसी संबंध में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि संगठन को इस नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना जरूरी है।
कोर्ट ने कहा- राज्य सरकार और पुलिस ने हड़ताल रोकने की कोशिश नहीं की
कोर्ट ने राज्य सरकार के रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार ने इस हड़ताल के आयोजकों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इन लोगों ने गैरकानूनी प्रदर्शन किए और सड़कों को कई घंटों तक जाम रखा। यह सब तब हुआ, जब 2019 में हाईकोर्ट ने ऐसे विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ आदेश सुनाया था।
कोर्ट ने गुरुवार को कहा- केरल में PFI के पूर्व महासचिव अब्दुल सतार को हड़ताल से जुड़े सभी केस में आरोपी बनाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि 23 सितंबर को पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए तब तक कोई कदम नहीं उठाया, जब तक कोर्ट ने इस मामले में दखल नहीं दिया। हमने 7 जनवरी 2019 को आदेश दिया था कि हड़ताल के उद्देश्य से कोई जुलूस, रैली या प्रदर्शन को अनुमति नहीं दी जाएगी। पुलिस ने इस आदेश के पालन को सुनिश्चित करना जरूरी नहीं समझा।'
कोर्ट ने आदेश दिया- जुर्माना राशि जमा किए बिना आरोपियों को जमानत न दी जाए
जस्टिस एके जयशंकर नम्बियार और मोहम्मद नियास सीपी ने यह आदेश भी दिया कि इन मामलों में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान मजिस्ट्रियल कोर्ट या सेशन कोर्ट को यह शर्त रखनी चाहिए कि पहले जुर्माने की राशि भरी जाएगी। बेंच ने कहा कि राज्य के नागरिकों को सिर्फ इसलिए डर में जीने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि उनके पास हिंसा फैलाने वाले लोगों या राजनीतिक दलों जैसे साधन नहीं है।
28 सितंबर को PFI पर लगा 5 साल का बैन; सरकार बोली- इनकी गतिविधियों से सुरक्षा को खतरा
केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, यानी PFI को 5 साल के लिए बैन कर दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया है। सरकार ने कहा, PFI और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
दंगों से हत्या तक में PFI का नाम; 15 साल में 20 राज्यों में पहुंचा संगठन
PFI की जड़ें 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए खड़े हुए आंदोलनों से जुड़ती हैं। 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) की स्थापना की थी। इसके बाद इसका नाम दंगों से हत्या तक में जुड़ा। संगठन 15 साल में 20 राज्यों तक पहुंच गया। पढ़ें पूरी खबर...
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