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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जीरागुडेम गांव में नक्सलियों से मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए। नक्सली दावा कर रहे हैं कि CRPF कोबरा दस्ते के कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हार उनके कब्जे में हैं। उनकी रिहाई के बदले नक्सली सरकार पर बातचीत का दवाब बना रहे हैं।
नक्सलियों ने सरकार से मध्यस्थों के नाम जारी करने की मांग की है। अब सवाल ये है कि नक्सली सरकार से बात क्यों करना चाहते हैं? भास्कर ने एक्सपर्ट से 3 पॉइंट में जानने की कोशिश की कि जवान की किडनैपिंग के पीछे नक्सलियों का क्या उद्देश्य हो सकता है।
1. फोर्स का मूवमेंट जानने की कोशिश
हो सकता है, नक्सली खुफिया जानकारी हासिल करना चाहते हों। नक्सली फोर्स का मूवमेंट, कैंप की स्थिति, जवानों की संख्या, खाने-सोने का टाइम, सर्च ऑपरेशन के बारे में जानने के लिए भी ऐसा करते हैं।
2. हिड़मा के लिए सेफ पैसेज
बस्तर के सबसे दुर्दांत नक्सली हिड़मा को टारगेट कर पुलिस सर्च ऑपरेशन चला रही है। हो सकता है नक्सली हिड़मा को बचाने के लिए ये सब कर रहे हों। उसे दूसरे राज्य में जाने के लिए सेफ पैसेज देना चाहते हों। दंतेवाड़ा SP अभिषेक पल्लव ने बताया कि पहले ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।
3. ब्रेन वॉश कर दबाव बनाने का हथकंडा
नक्सली फोर्स के जवान को कब्जे में लेकर ब्रेन वॉश करने की कोशिश करते हैं। नौकरी छोड़ने, घर वापस लौटने का दबाव बनाते हैं। बस्तर IG सुंदरराज पी ने बताया कि ऐसे मामलों में नक्सली गांव में रहने वाले साथियों की मदद लेते हैं। इसलिए राकेश्वर किसी ग्रामीण के घर भी हो सकते हैं।
अब 3 पॉइंट में जानिए नक्सलियों का पक्ष
मंगलवार को नक्सलियों ने फिर एक प्रेस नोट जारी किया। नोट में 14 हथियार और 2000 से ज्यादा कारतूस साथ ले जाने का दावा किया गया है। उन्होंने नक्सली ओड़ी सन्नी, कोवासी बदरू, पदाम लखमा, माड़वी सुक्खा और नूपा सुरेश के मरने की पुष्टि की। नोट में लिखा है कि नक्सली सन्नी का शव नहीं ले जा सके।
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