अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जनरल लैंसेट में प्रकाशित नई स्टडी ने भारत में बनी वैक्सीन कोविशील्ड के प्रभावी होने पर मुहर लगाई है। भारतीय शोधकर्ताओं ने यह स्टडी अप्रैल-मई 2021 के बीच तब की थी, जब देश में डेल्टा वैरिएंट ने कहर मचा रखा था। लैंसेट की ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट की अगुवाई में हुए शोध के मुताबिक दोनों डोज लेने वाले लोगों पर कोविशील्ड 63% असरकारी रही। वहीं मध्यम से गंभीर बीमारी में यह 81% असरकारी पाई गई।
स्टडी के दौरान संक्रमण के 2379 केस के बीच तुलना की गई। इसमें पाया गया कि वैक्सीन से मिला इम्यून प्रोटेक्शन विभिन्न वैरिएंट के खिलाफ कमजोर प्रतिरक्षा की क्षतिपूर्ति कर सकता है। यही नहीं, मध्यम से गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत को रोकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि स्टडी वास्तविक दुनिया के टीके की प्रभावकारिता पर व्यापक डेटा देती है।
ओमिक्रॉन: देश में अब तक एक भी केस नहीं : मांडविया
नए वैरिएंट के लिए छह माह में बूस्टर डोज संभव: पूनावाला
भारत में कोविशील्ड का उत्पादन कर रही सीरम इंस्टिट्यूट के प्रमुख पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड में वैज्ञानिक ओमिक्रॉन वैरिएंट पर कोविशील्ड की प्रभावकारिता का विश्लेषण कर रहे हैं। हम 6 माह में नई वैक्सीन ला सकते हैं, जो बूस्टर डोज की तरह काम करेगी। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने राज्यसभा में बताया कि देश में ओमिक्रॉन का एक भी केस नहीं मिला है।
देश में कोरोना के 6,990 नए केस, ये 551 दिन में सबसे कम
देश में सोमवार को काेरोना संक्रमण के 6,990 केस सामने आए। यह पिछले 551 दिन में आए केस का सबसे न्यूनतम स्तर है। वहीं देश में एक्टिव केस घटकर 1,00,543 रह गए, जो 546 दिन के सबसे कम हैं। ये कुल केस के मात्र 0.29% हैं। सोमवार को देश में 190 मौतें हुईं। इनमें 117 केरल और 21 महाराष्ट्र में हुई।
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