दिल्ली हाई कोर्ट ने एयरफोर्स की 32 पूर्व महिला अधिकारियों के हक में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन महिलाओं ने भले ही 5 साल सेवा दी है, लेकिन वे पूरी पेंशन की हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारियों की सेवा 20 साल के बराबर है, उन्हें पूरी पेंशन दी जाए।
कोर्ट ने कहा कि अधिक उम्र होने की वजह से अब रिटायर्ड महिला अधिकारियों को वापस सेवा में नहीं लिया जा सकता, लेकिन उन्हें पूरी पेंशन दी जाए। उनकी लड़ाई और मांगें जायज थीं।
12 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला
एयरफोर्स में इन महिलाओं का चयन पांच साल के शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत हुआ था, लेकिन ये महिलाएं अपनी सेवा बढ़ाने की मांग कर रही थीं। हालांकि उनकी सेवा नहीं बढ़ाई गई और उन्हें रिटायर होना पड़ा। इसके विरोध में महिलाओं ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब 12 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है।
महिला अधिकारियों ने 3 शहीदों की विधवा भी हैं
सर्विस बढ़ाने की मांग करने वाली महिलाओं में 3 विधवा हैं, जिनकी पति देश की सेवा में शहीद हो गए। इन महिलाओं को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। जब किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मौत हो जाती है तो परिवार के सदस्य को उसके स्थान पर नौकरी दी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के बबिता पुनिया के आदेश का जिक्र किया
हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के साल 2020 के बबिता पुनिया के आदेश का जिक्र किया। जिसमें कहा गया था कि सेना में महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण भर्ती प्रथा है। सेना में महिलाओं को उन पदों से बाहर रखा गया है, जिनकी वे हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सेना में महिला अधिकारियों के वेतन बढ़ाने का रास्ता साफ किया था। अब उनके पास एक पूर्ण करियर सेवा करने का विकल्प है, जो पहले अधिकतम 10 या 14 साल तक सीमित था।
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