अयोध्या में बन रहे श्रीरामजन्मभूमि मंदिर को और भव्य बनाने के लिए परकोटे, मेहराब और शिखरों की डिजाइन में शृंगारिक फेरबदल किया जा रहा है। इसके तहत मंदिर की खिड़कियों और झरोखों को नया कलेवर दिया जाएगा। मंदिर में राजस्थानी शैली के महलों की झलक दिखेगी। परकोटे की डिजाइन भी ज्यादा अच्छी होगी। परकोटे में चारों तरफ सात मंदिर शिखर होंगे। एक शिखर में श्रीगणेश विराजेंगे।
वहीं, पीछे की ओर शिखर में सीता रसोई होगी, जहां श्रीरामलला का भोग तैयार होगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सामने दिसंबर 2023 तक मंदिर तैयार करने की लक्ष्य है। मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने बताया, छह एकड़ में बन रहे मंदिर के प्लिंथ में लगने वाला ग्रेनाइट कर्नाटक से लाया जा रहा है। तीन महीने से बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर तराशे जा रहे हैं। इसके लिए 2000 से ज्यादा कारीगर लगे हैं।
नक्काशी का काम अयोध्या की एक कार्यशाला के साथ ही राजस्थान के सिरोही की तीन कार्यशालाओं में हो रहा है। पत्थर तराशने का ज्यादातर काम कारीगर कर रहे हैं। मशीनों का प्रयोग 10 प्रतिशत से कम ही है। आशीष ने बताया, मंदिर के आकार या डिजाइन में बदलाव नहीं है।
30 दिसंबर को ट्रस्ट की निर्माण समिति की बैठक में समीक्षा के साथ शृंगारिक बदलाव पर चर्चा हुई। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने कार्यस्थल का निरीक्षण किया था। डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया, हमारा लक्ष्य है कि दिसंबर 2023 तक गर्भगृह में रामलला के दर्शन शुरू हो सके।
कुछ ऐसे होंगे मेहराब... प्लिंथ का काम 15 जनवरी से
मंदिर की कुछ खिड़कियां जयपुर के हवामहल के झरोखों की तरह होंगी। ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया, 15 जनवरी से छह मीटर की प्लिंथ पर काम शुरू होगा। इसके किनारे लाल पत्थर व बीच में ग्रेनाइट भरा जाएगा। इसके ऊपर मकराना मार्बल की फर्श पर गुलाबी पत्थरों से मंदिर बनेगा।
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