चुनाव आयोग ने आज पांच राज्यों के लिए विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनावों का आगाज 14 जनवरी को पहले चरण के नामांकन के नोटिफिकेशन से हो जाएगा और 10 फरवरी को पहला मतदान होगा और 10 मार्च को रिजल्ट आने का साथ ही चुनावी समर खत्म हो जाएगा। उत्तराखंड और गोवा में चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे, जबकि मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को दो चरण में मतदान होगा।
इस घोषणा के साथ ही इन तीनों राज्यों में भी राजनीतिक पारा चढ़ गया है। उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सत्ता में मौजूद भाजपा को विपक्ष की मजबूत चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के लिए जनता को लुभाए रखते हुए अपनी सरकार बरकरार रखने के अलावा सहयोगी दलों और बागी रुख दिखा रहे सीनियर नेताओं को भी साधना एक बड़ी चुनौती है।
गोवा में कांग्रेस के साथ ममता और AAP भी लगा रहीं भाजपा के किले में सेंध
2017 में गोवा में मनोहर पर्रीकर के जनता में पसंद किए जाने वाले चेहरे के बावजूद भाजपा अपनी सरकार बरकरार रखने लायक सीट हासिल नहीं कर पाई थी। हालांकि बाद में कांग्रेस गठबंधन में फूट की बदौलत और राजनीतिक गुणा गणित का मैनेजमेंट करते हुए भाजपा ने सरकार बना ली थी, लेकिन इस बार चुनाव में उसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ साथ ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है।
बंगाल में ममता दीदी की जीत की रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर की टीम गोवा में भी उनके लिए जमीन तैयार कर रही है। ममता ने भी दो महीने पहले गोवा में 5 दिन दौरा किया था। केजरीवाल तो लगातार गोवा की विजिट पर हैं। गोवा के ग्राउंड रिपोटर्स के मुताबिक, AAP पिछले तीन सालों से ग्राउंड पर काम कर रही है। गणपत गांवकर समेत BJP के कई नेता आप का दामन थाम चुके हैं।
उत्तराखंड में सत्ता बचाने के लिए ही 3 मुख्यमंत्री बदले हैं भाजपा ने
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का इतिहास हर बार सत्ताधारी दल चेंज करने का रहा है। साल 2000 में गठित हुए इस राज्य में अब तक भाजपा और कांग्रेस हर बार एक-दूसरे से सरकार बदलती रहे हैं। यदि इस इतिहास को देखें तो सत्ताधारी भाजपा के लिए सरकार बनाए रखना बड़ी चुनौती है। हालांकि इस बार राज्य में समीकरण थोड़े बदले हुए हैं। सत्ताधारी भाजपा को जनविरोधी रुख का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पार पाने के लिए राज्य में कुछ ही महीनों के अंदर 3 बार मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं।
इसके अलावा भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों को अंदरुनी कलह का भी सामना करना पड़ रहा है। दोनों ही पार्टियों के सीनियर नेता लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। हाल ही में भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री हरक सिंह रावत ने अचानक पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्हें बाद में मना लिया गया। एक अन्य वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य ने भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में ही वापसी कर ली है। वहीं, कांग्रेस में भी साथियों के असहयोग से परेशान होकर पूर्व सीएम हरीश रावत सोशल मीडिया पर पार्टी हाईकमान को बगावती तेवर दिखा चुके हैं।
दोनों ही दलों के लिए पहाड़ में पहली बार बड़ी धमक की उम्मीद लगा रही आम आदमी पार्टी (AAP) और राज्य निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले उक्रांद के भी एक बार फिर राजनीतिक मजबूती दिखाने की कोशिश की भी चुनौती खड़ी है।
मणिपुर में भाजपा के लिए अफस्पा न बन जाए आफत
2017 का मणिपुर विधानसभा चुनाव बड़े उलटफेर से गुजरा था। कांग्रेस सबसे ज्यादा 28 सीट लाने के बाद भी सरकार बनाने से चूक गई थी, जबकि सिर्फ 21 सीटें लाने के बाद भी भाजपा ने नगा पीपुल्स फ्रंट और और नेशनल पीपुल्स पार्टी के सहयोग से सरकार बना ली थी। इस बार के चुनाव में पूर्वोत्तर के इस राज्य में अफस्पा (Armed Forces (Special Powers) Act) एक बड़ा मुद्दा होगा। भाजपा की दोनों सहयोगी नगा पीपुल्स फ्रंट और और नेशनल पीपुल्स पार्टी अफस्पा हटाने की मांग कर चुकी हैं। इसके अलावा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसकी वापसी की बात कही है।
नगालैंड में हाल ही में सुरक्षाबलों के साथ उग्रवादियों के धोखे में हुई मुठभेड़ में 14 लोगों की मौत के बाद अफस्पा को हटाने की मांग और ज्यादा तेज हो गई है। यह मुद्दा चुनाव में भाजपा के लिए गले की हड्डी जैसा साबित होगा।
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव का शेड्यूल
पहला चरण: 10 फरवरी
उत्तर प्रदेश
दूसरा चरण: 14 फरवरी
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा
तीसरा चरण: 20 फरवरी
उत्तर प्रदेश
चौथा चरण: 23 फरवरी
उत्तर प्रदेश
पांचवा चरण: 27 फरवरी
उत्तर प्रदेश, मणिपुर
छठवां चरण: 3 मार्च
उत्तर प्रदेश, मणिपुर
सातवां चरण: 7 मार्च
उत्तर प्रदेश
नतीजे: 10 मार्च
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.