प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर पर 8 दलों के 14 नेताओं के साथ करीब 3 घंटे तक बैठक की। प्रधानमंत्री आवास पर चली इस बैठक में मोदी ने संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर से दिल्ली और दिल की दूरी कम होगी। उन्होंने परिसीमन के बाद जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने की बात भी कही और नेताओं से ये भी कहा कि वे इस प्रक्रिया में शामिल हों।
बैठक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत गुपकार अलायंस के बड़े नेता भी मौजूद थे। इनके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी बैठक में शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक मतभेद होंगे लेकिन सभी को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को फायदा हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी के लिए सुरक्षा और सुरक्षा का माहौल सुनिश्चित करने की जरूरत है।
विधानसभा चुनाव के लिए परिसीमन तेज गति से हो: PM मोदी
राजनीतिक दलों के साथ आज की बैठक विकासशील जम्मू-कश्मीर के लिए जारी प्रयासों की दिशा में अहम कदम है। जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बहाल करना हमारी प्राथमिकता है। परिसीमन की प्रक्रिया तेज गति से होनी चाहिए ताकि विधानसभा चुनाव हो सकें और सरकार चुनी जा सके, जो जम्मू-कश्मीर के विकास को मजबूती दे।
हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत ये है कि हम आपस में अपने नजरिए को साझा कर सकते हैं। मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा है कि अवाम खासतौर से युवाओं को जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक लीडरशिप दी जानी चाहिए। यह निश्चित करना चाहिए कि उनकी उम्मीदें भी पूरी हों।
महबूबा ने कहा- कश्मीर में सख्ती खत्म होना चाहिए
PDP नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैंने मीटिंग में जम्मू -कश्मीर के लोगों की मुसीबतें सामने रखीं। कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के बाद से नाराज हैं और शोषित महसूस करते हैं। हम चीन के साथ आप बात कर रहे हैं। पाकिस्तान से फिर बातचीत करनी चाहिए ताकि जो ट्रेड उनके साथ रुका है, वो बहाल हो। UAPA की सख्ती बंद हो, जेलों में बंद कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग तंग आ गए हैं कि जोर से सांस भी लें तो उन्हें जेल में डाला जाता है।
उमर अब्दुल्ला बोले- अदालत में लड़ेंगे 370 की लड़ाई
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम आर्टिकल-370 पर अपनी लड़ाई अदालत में लड़ेंगे। हमने प्रधानमंत्री से भी कहा कि जम्मू-कश्मीर और केंद्र के बीच विश्वास को दोबारा कायम करना आपकी जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरेटरी का दर्जा दिया गया है, कश्मीरी इसे पसंद नहीं करते हैं।
उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री दिल की दूरी कम करना चाहते हैं, लेकिन एक मुलाकात से न दिल की दूरी कम होती है और न दिल्ली की दूरी कम होती है। एक मीटिंग में इस बात की उम्मीद करना गलतफहमी होगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। हमने ये भी कहा कि परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है। इससे बहुत संदेह पैदा होते हैं।
अमित शाह ने कहा- हम कश्मीर के लिए प्रतिबद्ध
बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर पर आज की बैठक बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। सभी ने लोकतंत्र और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। साथ ही जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने जम्मू और कश्मीर के भविष्य पर चर्चा की। परिसीमन और चुनाव संसद में किए गए वादे के अनुसार राज्य का दर्जा बहाल करने में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं।
पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा नेता कवींदर गुप्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई है। लगता ऐसा है कि परिसीमन के बाद जल्द ही चुनाव कराए जाएंगे। सभी नेता सामान्य तरीके से चुनाव चाहते हैं। प्रधानमंत्रीजी ने भरोसा दिलाया है कि हम जम्मू-कश्मीर के विकास पर काम करेंगे। गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्रीजी ने कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर भी पूरा भरोसा नेताओं को दिलाया है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के सामने रखीं 5 मांगें
मीटिंग के बाद कांग्रेस लीडर गुलाम नबी आजाद ने बताया कि हमने 5 बड़ी मांगें सरकार के सामने रखीं हैं।
पहली: जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्दी दिया जाना चाहिए। सदन के अंदर गृहमंत्री जी ने हमें आश्वासन दिया था कि राज्य का दर्जा वक्त आने पर बहाल किया जाएगा। हमने तर्क दिया कि अभी शांति है तो इससे ज्यादा अनुकूल वक्त नहीं हो सकता।
दूसरी: आप लोकतंत्र की मजबूती की बात करते हैं। पंचायत और जिला परिषद के चुनाव हुए हैं और ऐसे में विधानसभा के चुनाव भी तुरंत होने चाहिए।
तीसरी: केंद्र सरकार गारंटी दे कि हमारी जमीन की गारंटी और रोजगार की सुविधा हमारे पास रहे।
चौथी: कश्मीरी पंडित पिछले 30 साल से बाहर हैं, जम्मू-कश्मीर के हर दल की जिम्मेदारी है कि उन्हें वापस लाया जाए और उनका पुनर्वास कराया जाए।
पांचवीं: 5 अगस्त को राज्य के दो हिस्से किए थे। हमने इसका विरोध जताया।
मोदी की बैठक से पहले चुनाव आयोग की भी बैठक हुई
बताया जा रहा है कि मोदी की बैठक में जम्मू-कश्मीर से राजनीतिक गतिरोध खत्म करने और चुनाव कराने का रोडमैप तैयार किया गया है। इस बैठक से पहले चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के सभी 20 उपायुक्तों से विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और 7 नई सीटें बनाने पर भी विचार-विमर्श किया है।
इससे 3 घंटे पहले गृह मंत्री अमित शाह PM मोदी के घर पहुंचे और कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा की। माना जा रहा है कि इस दौरान मोदी की कश्मीर के नेताओं के साथ होने वाली मीटिंग के एजेंडे पर बात हुई। वहीं, कश्मीर के नेताओं के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की पार्टी मुख्यालय पर अहम मीटिंग हुई। इस बैठक में रविन्द्र रैना, कवींद्र गुप्ता, निर्मल सिंह और मंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हुए थे।
मोदी के साथ मीटिंग में ये नेता शामिल हुए
मीटिंग में ये भी शामिल
महबूबा के पाकिस्तान वाले बयान पर बवाल
इस बीच महबूबा के पाकिस्तान से बातचीत वाले बयान पर बवाल शुरू हो गया है। जम्मू में डोगरा फ्रंट ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि महबूबा को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। इसके लिए उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए।
2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता आ गई थी
5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेट्स को खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। उसके बाद से राजनीतिक हालात अस्थिर हो गए थे। ज्यादातर बड़े नेता नजरबंद रहे। कुछ को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत जम्मू और कश्मीर के बाहर जेलों में भेज दिया गया। अब मोदी की मुलाकात को केंद्र की ओर से जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत कायम करने के लिए सभी दलों से बात करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
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