- नासा ने सोमवार को ट्विटर पर विक्रम लैंडर के दुर्घटनास्थल और मलबे वाले क्षेत्र की फोटो जारी कीं
- विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी, लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले ही इससे संपर्क टूट गया था
Dainik Bhaskar
Dec 04, 2019, 10:31 AM ISTवॉशिंगटन. चेन्नई के कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम द्वारा दिए गए सबूतों पर रिसर्च करने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सोमवार को विक्रम लैंडर का मलबा मिलने की पुष्टि कर दी। इसे इसरो से इसका संपर्क टूटने के 87 दिन बाद तलाशा गया। नासा ने अपने ऑर्बिटर एलआरओ से ली गई तस्वीरें जारी की हैं। इनमें विक्रम के टकराने की जगह और बिखरा हुआ मलबा दिखाया है। नासा ने खोज में मदद के लिए सुब्रहण्यम को धन्यवाद दिया है।
विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चांद की सतह पर क्रैश हुआ था
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी थी। हालांकि, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले ही इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हुआ था।
भारतीय प्रोग्रामर से सबूत मिलने के बाद नासा ने खोज की
तस्वीर में ग्रीन डॉट्स से विक्रम लैंडर का मलबा रेखांकित किया गया है। वहीं ब्लू डॉट्स से चांद की सतह में क्रैश के बाद आए फर्क को दिखाया गया है। ‘एस’ अक्षर के जरिए लैंडर के उस मलबे को दिखाया गया है जिसकी पहचान वैज्ञानिक शनमुग सुब्रमण्यम ने की। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सुब्रमण्यम भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर हैं।
नासा ने दिया था चैलेंज
नासा ने बयान जारी कर कहा कि उसने 26 सितंबर को एलआरओ से जारी कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं, इनमें लोगों को चांद की सतह पर क्रैश से पहले और क्रैश के बाद की स्थिति की तुलना के लिए कहा गया। ताकि लैंडर का सही पता लगाया जा सके। शनमुग सुब्रमण्यम ने चांद की सतह पर मलबे की पहचान करने के बाद ही नासा के एलआरओ प्रोजेक्ट से संपर्क किया। उनके दिए सबूतों के आधार पर एलआरओ टीम ने चांद की सतह की क्रैश के पहले और बाद की फोटोज का विश्लेषण किया। यहीं से पुष्टि हुई कि चांद पर पड़ा मलबा चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का है।
लैंडर की आखिरी ज्ञात गति से लगाया मलबे का पता
शनमुग सुब्रमण्यम ने अखबार से कहा, “विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग ने मेरे अंदर चांद को लेकर रुचि जगाई। अगर विक्रम ठीक तरह से लैंड होकर कुछ तस्वीरें भेजता, तो शायद हमने इतनी रुचि न दिखाई होती, लेकिन पिछले कुछ दिनों में मैंने चांद की सतह की फोटो स्कैन कीं और इनमें मुझे कुछ सकारात्मक चीजें दिखीं।” शनमुग के मुताबिक, विक्रम लैंडर की आखिरी ज्ञात गति (वेलोसिटी) और स्थिति (पोजिशन) की समीक्षा के बाद उन्होंने मलबे को ढूंढने का क्षेत्र बदला। जहां चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग की उम्मीद लगाई जा रही थी, वहां से कुछ ही दूरी पर एक सफेद बिंदु दिखाई दिया। पहले की कुछ तस्वीरों में यह बिंदु साफ नहीं था। हो सकता है कि लैंडर सतह से टकराने के बाद उसके अंदर घुस गया हो।
नासा ने चंद्रयान-2 की खोज के लिए शनमुग को श्रेय दिया
शनमुग ने अपनी खोज को नासा के वैज्ञानिकों के साथ साझा किया। अमेरिकी एजेंसी ने अपने एलआरओ के कैमरे के जरिए कुछ तस्वीरें ली थीं। वैज्ञानिकों ने जब लैंडर के क्रैश होने के बाद ली गई कुछ तस्वीरों की 11 नवंबर की ताजी तस्वीरों के साथ तुलना की, तो उन्हें इनमें फर्क समझ आया। इसी आधार पर वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब रहे कि विक्रम लैंडर लैंडिंग साइट से करीब 2500 फीट दूर गिरा और उसका मलबा आसपास के इलाके में फैल गया।
@NASA has credited me for finding Vikram Lander on Moon's surface#VikramLander #Chandrayaan2@timesofindia @TimesNow @NDTV pic.twitter.com/2LLWq5UFq9
— Shan (@Ramanean) December 2, 2019
इसरो ने कहा- नो कमेंट ऑन दिस ऑफर
नासा द्वारा लैंडर के मलबे को खोज लेने की तस्वीर जारी करने के बाद जब भास्कर ने इसरो से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो चेयरमैन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, इसरो के आधिकारिक प्रवक्ता ने एसएमएस के जरिए कहा कि "वी हैव नो कमेंट ऑन दिस ऑफर" यानी इस बारे में हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है। जब शनमुग से इस बारे में हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने इसरो को जानकारी नहीं दी थी। नासा को ही मैंने यह सूचना भेजी थी। मलबे की खोज की पुष्टि के बाद इसरो ने मुझसे संपर्क नहीं किया। इसरो संपर्क करता तो अच्छा लगता।