अब प्रत्याशी की तरह काउंट होगा नोटा, ज्यादा वोट नोटा को मिले तो दोबारा चुनाव में नहीं लड़ सकेंगे पहले प्रत्याशी

4 वर्ष पहले
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  • अब प्रत्याशी की तरह काउंट होगा नोटा, ज्यादा वोट नोटा को मिले तो दोबारा चुनाव में नहीं लड़ सकेंगे पहले प्रत्याशी

चंडीगढ़/पानीपत. हरियाणा चुनाव आयोग ने दिसंबर में पांच जिलों में होने वाले नगर निगम चुनाव में नोटा यानी ‘इनमें से कोई नहीं’ को प्रत्याशी की तरह काउंट करने का फैसला किया है। इसके तहत अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो वहां चुनाव दोबारा कराया जाएगा। पहली बार वाले प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो जाएंगे। देश में किसी चुनाव में ऐसा पहली बार हो रहा है। 

 

अभी यह नियम है

 

  • अभी तक हर स्तर के चुनावों में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने पर दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी को विजेता घोषित करने का नियम है। 
  • मान लीजिए किसी चुनाव में पहले प्रत्याशी को 10 हजार वोट और दूसरे को 8 हजार वोट मिले। वहीं, नोटा को 12 हजार मिले। ऐसी स्थिति में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने के बावजूद 10 हजार वोट पाने वाले प्रत्याशी को विजेता घोषित करने का नियम है।

 

हरियाणा में यह होने जा रहा है
 

  • मान लीजिए हरियाणा के पांच जिलों में नगर निगम के किसी निर्वाचन क्षेत्र में पहले प्रत्याशी को 10 हजार वोट, दूसरे को 8 हजार और नोटा को 12 हजार वोट मिलते हैं तो नोटा को भी प्रत्याशी मानते हुए विजेता माना जाएगा और चुनाव रद्द कर दिया जाएगा।
  • ऐसी स्थिति में उस सीट पर दोबारा चुनाव होगा। इसमें वे नेता फिर से उम्मीदवार नहीं बन पाएंगे, जिन्होंने पिछला चुनाव लड़ा था। 

 

 

नोटा काल्पनिक चुनावी उम्मीदवार
हरियाणा के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. दिलीप सिंह ने गुरुवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नोटा को काल्पनिक चुनावी उम्मीदवार माना जाएगा। अगर दूसरी बार चुनाव कराने पर भी नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तब दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाएगा। 

 

लोकसभा, विधानसभा चुनाव में नोटा की संख्या कम
चुनाव आयुक्त का कहना था कि लोकसभा, विधानसभा चुनाव में नोटा को काफी कम वोट मिलते हैं। लेकिन नगर निगम और नगर पालिका चुनाव में मतदाता संख्या अपेक्षाकृत काफी कम होती है। ऐसे में नोटा को किसी उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिलने की संभावना रहती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला अभी सिर्फ नगर निगम चुनाव में ही लागू रहेगा।

 

2013 में सबसे पहले लागू हुआ था नोटा

नोटा का इस्तेमाल सबसे पहले 2013 में छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुआ। इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी नोटा का इस्तेमाल हुआ। 2015 तक देशभर के सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों पूरी तरह नोटा लागू हो गया। इसमें वोटिंग मशीन या बैलट पेपर पर ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प दिया जाता है। यानी आप मौजूदा प्रत्याशियों में से किसी को भी वोट नहीं देना चाहते तो नोटा को चुन सकते हैं।