सुप्रीम कोर्ट में केरल प्रवासी संघ ने एक याचिका दायर की। इसमें अनिवासी भारतीयों (NRI) को उनके निवास स्थान या ऑफिस से वोटिंग का अधिकार दिए जाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की।
कोर्ट ने इस मुद्दे पर सभी पेंडिंग जनहित याचिका (PIL) को एक साथ टैग करने का आदेश दिया। याचिका में वोटिंग के दिन मतदान केंद्रों पर शारीरिक तौर पर उपस्थिति में छूट देने की मांग की गई थी। साथ ही कहा गया कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1950 के सेक्शन-20ए के तहत उन्हें उनके निवास स्थान या ऑफिस से ही मताधिकार की अनुमति दी जाए।
2010 में नियमों में बदलाव हुआ
2010 में रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट में संशोधन किया गया। इसके बाद NRI को भी वोटिंग का अधिकार मिला, लेकिन इसमें भी एक शर्त थी कि NRI को वोट डालने के लिए पोलिंग स्टेशन पर आना होगा। वहीं, याचिका में कहा गया कि यह अनुच्छेद 14,19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
अप्रैल 2022 में चुनाव आयोग ने कहा था कि वह विदेशी मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) सुविधा शुरू करने पर विचार कर रहा है। अनिवासी भारतीयों को देश में मतदान का अधिकार देने को लेकर लंबे समय से मांग हो रही है।
कौन होते हैं NRI
विदेश में रह रहे है भारतीय रोजगार और शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से विदेश में जाते है। कुछ समय के बाद कुछ भारतीय विदेश में हमेशा के लिए बस जाते है। उन्हें NRI कहा जाता है। फिलहाल विदेशों में पढ़ाई करने जा रहे भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या में इजाफा हो रहा है। और भी कई कारणों से भारतीयों को विदेश जाना पड़ता है। ये लोग विदेश की ही नागरिकता ले लेते हैं।
चुनाव आयोग का प्रस्ताव अगर पास हो जाता है, तो NRI वोट कैसे डालेंगे?
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