राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अमेरिका के साथ एक नई पहल की शुरुआत के लिए वॉशिंगटन जा रहे हैं। वहां 31 जनवरी को उनकी अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के साथ इनीशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी ( ICET) फ्रेमवर्क की पहली बातचीत होगी। इस पहल पर सहमति की घोषणा पिछले साल जापान में PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की बातचीत के बाद हुई थी।
भारत के लिए इस बातचीत को बेहद अहम माना जा रहा है। इसके माध्यम से भारत के लिए विश्व की ऐसी 10 संवदेनशील और गेमचेंजर टेक्नोलॉजी के दरवाजे खुल जाएंगे, जो स्ट्रैटेजिक विजन से हर मामले में बेजोड़ हैं।
दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों के बीच सीधे बातचीत
दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों के बीच सीधे बातचीत होने से यह साफ संकेत दिया गया है कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में लालफीताशाही की कई बाधाओं को खत्म कर दिया गया है। इससे दोनों देशों के बीच आपसी तालमेल मजबूत होगा और कम समय में ही एक लंबी प्रोसेस को पूरा किया जा सकेगा।
एडवांस टेक्नोलॉजी के इन मुद्दों पर बातचीत होगी
इन गेमचेंजर टेक्नोलॉजीस पर होगी बातचीत
गेमचेंजर टेक्नोलॉजी में एडवांस्ड इंजीनियरिंग मेटेरियल्स, गैस टरबाइन इंजन टेक्नोलॉजी, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, नेटवर्क सेंसिंग एंड सिगनेचर मैनेजमेंट, परमाणु ऊर्जा टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आटोनॉमस सिस्टम्स एंड रोबोटिक्स, बॉयोटेक्नोलॉजीस और कम्युनिकेशन एंड नेटवर्किंग टेक्नोलॉजी शामिल है। इसके अलावा डायरेक्टेड एनर्जी जैसे लेजर हथियार, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, ह्यूमन मशीन इंटरफेस, हाइपरसोनिक्स टेक्नोलॉजी, रिन्युएबल एनर्जी, स्पेस टेक्नोलॉजी एंड सिस्टम्स और सेमी कंडक्टर एवं माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पर भी बात होगी।
स्पेस को लेकर भी बातचीत संभव
दोनों देशों के बीच स्पेस को लेकर भी बातचीत होगी। इसके लिए ISRO प्रमुख एस सोमनाथ भी डोभाल के साथ जा रहे हैं। अंतरिक्ष मामलों पर बातचीत भारत के स्पेस प्रोग्राम के लिए बहुत अहम है। ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनके बारे में दोनों देशों के बीच आदान प्रदान की गुंजाइश है।
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