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भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर भारत सरकार ने अपना रूख साफ कर दिया है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत सरकार विवाद पर अब खुद से बातचीत के लिए प्रयास नहीं करेगी। सरकार का कहना है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने यह विवाद खुद बढ़ाया है। बिना भारत से बात किए उन्होंने एकतरफा फैसला लिया है। अब बातचीत के लिए पॉजिटिव माहौल बनाने की जिम्मेदारी उनकी है।
भारत सरकार ने कई बार बातचीत का प्रयास किया
सूत्रों के मुताबिक विवाद की शुरूआत से ही भारत सरकार ने कई बार नेपाल से बातचीत की कोशिश की। लेकिन नेपाल की सरकार हमेशा इसे अनसुनी करती रही। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राजनीतिक फायदा उठाने के लिए नक्शे में संवैधानिक बदलाव कर दिया।
ऐसा करने से पहले उन्होंने भारत से बातचीत करना भी जरूरी नहीं समझा। भारत सरकार के विदेश सचिव ने खुद कई बार नेपाल में अपने समकक्ष अधिकारी को फोन किया। वीडियो कॉल पर बातचीत करने की कोशिश की। विवादित जगह पर विजिट करने का प्रस्ताव दिया लेकिन नेपाल सरकार ने सबकुछ नजरअंदाज कर दिया।
नेपाल ने नया नक्शा 18 मई को जारी किया था
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था। भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी।
भारत ने कहा था- यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और के कहने पर किया।
कब से और क्यों है विवाद?
कोरोनाकाल में भारत ने नेपाल की मदद की
कोरोनावायरस से निपटने में भी भारत नेपाल की मदद करता आया है। अभी तक 4.5 करोड़ से ज्यादा के मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर नेपाल को भेजे जा चुके हैं। दवाईयां व अन्य संसाधन भी नेपाल को दिए जाते रहे हैं। नेपाल के कई विकास कार्यों के प्रोजेक्ट में भी भारत मदद कर रहा है।
राजनाथ सिंह बोले, रोटी-बेटी का रिश्ता
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-नेपाल सीमा विवाद पर बीते दिनों कहा था कि लिपुलेख तक की सड़क निर्माण के बाद भारत और नेपाल के बीच जो गलतफहमी पैदा हुई है, उसका हल निकाला जा सकता है। नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते प्राचीन और ऐतिहासिक होने के साथ-साथ सांस्कृतिक भी रहे हैं । बाबा केदार और पशुपति नाथ को अलग नहीं माना जा सकता। गोरखा रेजिमेंट के शौर्य को भूला नहीं जा सकता। भारत और नेपाल के बीच का रिश्ता रोटी-बेटी का रिश्ता है, ऐसे में दुनिया की कोई ताकत इसको तोड़ नहीं सकती।
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