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संक्रमितों के लिए मुश्किल वक्त:दिल्ली के लिए ऑक्सीजन का बढ़ा हुआ कोटा नाकाफी, केजरीवाल सरकार लगाती रहेगी गुहार

नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: संध्या द्विवेदी
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दिल्ली के बुराड़ी में एक नया कोविड हॉस्पिटल बनाया जा रहा है। इसमें ऑक्सीजन भी उपलब्ध होगी। यह जल्द ही शुरू हो सकता है। - Dainik Bhaskar
दिल्ली के बुराड़ी में एक नया कोविड हॉस्पिटल बनाया जा रहा है। इसमें ऑक्सीजन भी उपलब्ध होगी। यह जल्द ही शुरू हो सकता है।

दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती मरीज इस वक्त हर घंटे अपनी सांसों को चलाए रखने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली सरकार रोजाना अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी का आंकड़ा जारी कर केंद्र को जानकारी देती है। उसके बाद पूरे दिन सोशल मीडिया के जरिए केंद्र से ऑक्सीजन की आपूर्ति करने का सिलसिला चलता है। रात होते-होते अस्पतालों में कुछ घंटों की ऑक्सीजन बचती है तो ऑक्सीजन का एक टैंकर पहुंच जाता है।

एक दिन का संकट खत्म होता है, लेकिन फिर दूसरे दिन के लिए लड़ाई। हालांकि कई दिनों से चल रही यह कोशिश कुछ तो रंग लाई। दिल्ली सरकार के लिए ऑक्सीजन का कोटा बढ़ा दिया गया है। मौजूदा 378 मीट्रिक टन से बढ़ाकर यह 480 टन कर दिया गया है। अभी और कोटा बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार केंद्र पर दबाव बनाती रहेगी।

क्या संकट टल गया, दिल्ली सरकार अब गुहार लगाना बंद कर देगी?
दिल्ली सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट के एक अफसर ने बताया, “हम बहुत पहले से ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे थे, लेकिन केंद्र सुन नहीं रहा था। हमने योजना बनाई कि अब सोशल मीडिया पर जनता के सामने अपनी पूरी स्थिति साफ की जाए। हमने रोजाना अस्पतालों के आंकड़े देने शुरू किए। कहां कितनी ऑक्सीजन है और कितनी की जरूरत है? जानबूझकर हमने घंटों में ऑक्सीजन की मात्रा बताई। केंद्र पर जब लोगों का दबाव पड़ा तो उसे कोटा बढ़ाना पड़ा। लेकिन दबाव बनाना जारी रखा जाएगा, क्योंकि अभी हमारी जरूरत के हिसाब से बढ़े हुए कोटे के बाद भी तकरीबन आधी ऑक्सीजन ही हमें मिल पाएगी।'

ऑक्सीजन क्राइसिस कैसे खड़ा हुआ?
ये अफसर आगे कहते हैं- दिल्ली में मरीजों की संख्या औसतन 25 हजार रोजाना के आंकड़े को पार कर गई है। हमें 700 मीट्रिक टन से भी ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है। दिल्ली में पूरे देश से मरीज आते हैं। हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार से खासतौर पर लोग यहां इलाज के लिए आ रहे हैं। इसलिए ऑक्सीजन की डिमांड तय कोटे से तकरीबन दो गुनी हो गई है।

क्या तय कोटा भी पहुंचने में दिक्कत आ रही है?
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस तरफ इशारा किया कि दूसरे राज्य भी दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर टांग अड़ाते हैं। उन्होंने कहा, 'ऑक्सीजन का प्लांट किसी भी राज्य में हो, लेकिन उस पर उस राज्य का कब्जा नहीं हो सकता। ऑक्सीजन सप्लाई केंद्र का विषय है।'

दरअसल, उप मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के रास्ते होने वाली ऑक्सीजन आपूर्ति में दिक्कत आ रही है। उन्होंने बताया कि फरीदाबाद के एक प्लांट से दिल्ली को भेजी जा रही ऑक्सीजन की आपूर्ति होने में हरियाणा सरकार के अधिकारी ने अड़ंगा लगाया। केंद्र के दखल के बाद ही टैंकर दिल्ली पहुंच पाया। ऐसा ही वाकया उत्तर प्रदेश के एक प्लांट से दिल्ली के लिए आ रहे ऑक्सीजन टैंकर के साथ भी पेश आया।

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने लगाया दिल्ली पर आरोप
दूसरी तरफ, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, “फरीदाबाद जा रहे हमारे दो ऑक्सीजन टैंकरों में से एक को दिल्ली सरकार ने लूट लिया, दूसरे को किसी तरह उनके कब्जे से छुड़ाया गया। उन्होंने कहा- अब हरियाणा सरकार ऑक्सीजन के सभी टैंकरों को पुलिस सुरक्षा दे रही है। पहले हरियाणा की जरूरत पूरी होगी, फिर यहां के प्लांट से कहीं और ऑक्सीजन जाएगी।

क्या किसान आंदोलन भी परेशानी की वजह है?
दिल्ली के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति में कई प्लांट लगे हुए हैं। इनके टैंकर एक दो दिन के अंतर में आते हैं। आइनॉक्स एअर प्रोडक्ट नाम की कंपनी का एक प्लांट भिवानी में भी है। यही प्लांट दिल्ली तक आक्सीजन पहुंचाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

औसतन रोज के हिसाब से तकरीबन 200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन फिल करके यहां से दिल्ली भेजी जाती है। ऑइनॉक्स के एक कर्मचारी ने बताया- पहले हम गाजीपुर बॉर्डर से दिल्ली पहुंच जाते थे, लेकिन आंदोलन शुरू होने की वजह से कई बार हमारे टैंकर गाजीपुर बॉर्डर में फंस गए। अब हम मोदीनगर, परी चौक और फिर ग्रेटर नोएडा होते हुए दिल्ली के अस्पतालों तक पहुंचते हैं। कर्मचारी के मुताबिक- इस बदले रूट की वजह से दो से तीन घंटे ज्यादा लगते हैं। दूसरी तरफ, किसान आंदोलन में सक्रिय भारतीय किसान यूनियन के नेता धर्मेंद्र मलिक ने इस बात से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'हमने किसी की आवाजाही को बाधित नहीं किया। खासतौर पर एंबुलेंस या फिर ऑक्सीजन के टैंकर के लिए तो हमने खुद रास्ता साफ किया।'

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