संसद का विंटर सेशन भी काफी हंगामेदार है। दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके चलते दिन भर में कुल तीन बार लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। हंगामा नहीं थमने पर दोपहर 3 बजे के बाद लोकसभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं, राज्यसभा में भी विपक्ष ने इस मामले को काफी जोर-शोर से उठाया।
दरअसल, राज्यसभा से निलंबित किए गए 12 सांसदों के मामले पर विपक्ष भड़का हुआ है। इन सांसदों को संसद के मानसून सत्र में मार्शलों के साथ बदसलूकी करने के आरोप में निलंबित किया गया है। अब 12 निलंबित विपक्षी सांसद राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखेंगे और अपने निलंबन के खिलाफ दलील पेश करेंगे। साथ ही वे कल संसद में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना भी देंगे।
सांसदों का निलंबन रद्द करने से सभापति का इनकार
इससे पहले राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह निलंबन का फैसला संवैधानिक है और इसे वापस नहीं लिया जाएगा। नायडू की इस घोषणा के बाद विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में निलंबन को लेकर विपक्षी नेता एक और बैठक कर रहे हैं।
'निलंबित सांसदों को माफी मांगनी चाहिए'
सरकार का कहना है कि निलंबित किए गए सांसदों को मापी मांगनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "कल भी हमने उनसे कहा कि आप लोग माफी मांग लीजिए, खेद जाहिर कीजिए। लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया, साफ इनकार किया। इसलिए मजबूरी में हमें ये फैसला लेना पड़ा। उन्हें सदन में माफी मांगनी चाहिए।"
राहुल बोले- किस बात की माफी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि किस बात की माफी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं! वहीं, अधीरंजन चौधरी ने कहा कि रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट चल रहा है। सरकार का ये नया तरीका है। हमें डराने का, धमकाने का, हमें जो अपनी बात रखने का अवसर मिलता है उसे छीनने का नया तरीका है। उन्होंने कहा, "यहां पर जमींदारी या राजा नहीं है कि हम बात-बात पर इनके पैर पकड़ें और माफी मांगे। ये जबरदस्ती क्यों माफी मंगवाना चाहते हैं। इसे हम बहुमत की बाहुबली कह सकते हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।"
PM मोदी की पार्टी के टॉप नेताओं के साथ बैठक
इस सेशन के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के टॉप नेताओं के साथ बैठक की। इस मीटिंग में राजनाथ सिंह, अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर समेत कई मंत्री मौजूद रहे। इस दौरान संसद में सरकार की आगे की रणनीति को लेकर चर्चा हुई।
'सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ'
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों ने आज बैठक की। उन्होंने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। सांसदों को सदन के नियमों के खिलाफ निलंबित कर दिया गया। 12 सांसदों के निलंबन की कार्रवाई राज्यसभा में विपक्ष की आवाज का गला घोंटने जैसा है। खड़गे ने कहा कि जिस मुद्दे पर निलंबित किया गया है वो मुद्दा पिछले सत्र का है, शीतकालीन सत्र में इसे उठाकर निलंबन इसलिए किया गया है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा उनकी पोल न खोल दी जाए।
'कृषि कानून वापस लेते समय भी केंद्र ने तानाशाही दिखाई'
AAP सांसद संजय सिंह ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "अगर प्रधानमंत्री किसानों के मन से आशंका को दूर करना चाहते तो वे सदन में आकर बोलते कि अब ये काला कानून किसी भी स्वरूप में नहीं आएगा। चर्चा न करा के सरकार ने ये बताया है कि जब काला कानून पास किया था तब भी तानाशाही थी, जब इसको वापस लिया तब भी तानाशाही है।"
कांग्रेस के 6; TMC, शिवसेना और लेफ्ट के 6 MP
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सोमवार को निलंबित सांसदों के नाम की घोषणा की। इनमें कांग्रेस के 6 सांसद: फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल हैं। ममता बनर्जी की पार्टी TMC से डोला सेन और शांता छेत्री को सस्पेंड किया गया है। इसके अलावा शिवसेना से प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई शामिल हैं। वहीं CPM के एलाराम करीम और CPI के बिनॉय विश्वम भी निलंबित होने वाले सांसदाें की लिस्ट में शामिल हैं।
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