मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट में BBC डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग:रोक के बावजूद 200 स्टूडेंट्स ने फोन-लैपटॉप पर देखी गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री

मुंबई4 महीने पहले
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TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने शनिवार शाम 7 बजे को डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इसका विरोध किया था। - Dainik Bhaskar
TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने शनिवार शाम 7 बजे को डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इसका विरोध किया था।

गुजरात दंगों पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ की स्क्रीनिंग को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। JNU और DU के बाद शनिवार को मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल हुआ। इंस्टीट्यूट की रोक के बावजूद 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने फोन-लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी।

TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने शनिवार शाम 7 बजे को डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इसका विरोध किया था। इसके बाद पुलिस ने मामले में दखल देते हुए कहा था कि TISS में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं होगी। इसके बाद स्टूडेंट्स ने 9 लैपटॉप और फोन पर डॉक्यूमेंट्री देखी।

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने डॉक्यूमेंट्री स्कीनिंग की जानकारी देने के लिए यह पोस्टर जारी किया था।
प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने डॉक्यूमेंट्री स्कीनिंग की जानकारी देने के लिए यह पोस्टर जारी किया था।

TISS ने दी थी कार्रवाई की चेतावनी
TISS ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी थी। TISS ने शुक्रवार और शनिवार को दो चेतावनी जारी कर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं करने के लिए कहा था। इंस्टीट्यूट ने डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही थी। इसके अलावा मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने स्क्रीनिंग करने वाले स्टूडेंट्स के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने की मांग की थी। इन सब बातों के बाद भी स्टूडेंट्स जिद पर अड़े रहे और डॉक्यूमेंट्री देखी।

डॉक्यूमेंट्री विवाद को लेकर बीते चार दिन का घटनाक्रम जान लीजिए....

24 जनवरी: JNU में डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पथराव हुआ था

JNU में 24 जनवरी को रातभर हंगामा होता रहा। छात्र संघ का कहना था कि वे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं कर रहे थे, बल्कि मोबाइल पर देख रहे थे। इसे देखने पर कोई रोक नहीं है, फिर बिजली इंटरनेट क्यों काटा गया?
JNU में 24 जनवरी को रातभर हंगामा होता रहा। छात्र संघ का कहना था कि वे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं कर रहे थे, बल्कि मोबाइल पर देख रहे थे। इसे देखने पर कोई रोक नहीं है, फिर बिजली इंटरनेट क्यों काटा गया?

इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 24 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में बवाल हुआ था। दरअसल, यूनिवर्सिटी को खबर लगी कि छात्र संघ के ऑफिस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की जा रही है तो वहां की बिजली और इंटनेट काट दिया गया।

इसके बाद भी छात्र नहीं माने और उन्होंने डॉक्यूमेंट्री को मोबाइल पर डाउनलोड करने का क्यूआर कोड शेयर किया। विवाद इतना बढ़ गया कि डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर देर रात पथराव किया गया। पथराव किसने किया, यह पता नहीं चल पाया है। हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए।

25 जनवरी: जामिया यूनिवर्सिटी में 7 स्टूडेंट्स हिरासत में लिए गए

तस्वीर जामिया यूनिवर्सिटी की है, डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर पुलिस ने 7 छात्रों को हिरासत में लिया lE।
तस्वीर जामिया यूनिवर्सिटी की है, डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर पुलिस ने 7 छात्रों को हिरासत में लिया lE।

जामिया में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अब तक 7 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया है। इन पर माहौल खराब करने के प्रयास का आरोप है। SFI ने छात्रों की रिहाई तक स्क्रीनिंग टाल दी है। यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर की शिकायत पर इन्हें हिरासत में लिया गया है।

जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने बताया कि विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर छात्र संगठन SFI यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहा है। हम ऐसी किसी भी काम की अनुमति नहीं देंगे। छात्रों की किसी भी गैरजरूरी हरकत पर कार्रवाई होगी।

25 जनवरी: BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर पुडुचेरी विश्वविद्यालय में झड़प हुई

BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर पुडुचेरी विश्वविद्यालय में बुधवार को छात्रों में झड़प हुई थी।
BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर पुडुचेरी विश्वविद्यालय में बुधवार को छात्रों में झड़प हुई थी।

पुडुचेरी विश्वविद्यालय में बुधवार (25 जनवरी) को PM मोदी पर BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इसके बाद छात्रों के दो संगठनों के बीच झड़प हो गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एहतियात के तौर पर बिजली और वाईफाई को ठप कर दिया था, फिर छात्रों के एक गुट ने फोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी।

25 जनवरी: पंजाब यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री को लेकर हंगामा हुआ

चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। इसे देखने के लिए जमा छात्र।
चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। इसे देखने के लिए जमा छात्र।

पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) के स्टूडेंट सेंटर में 25 जनवरी को विवादित डॉक्यूमेंट्री चलाने पर हंगामा हुआ। NSUI ने यह डॉक्यूमेंट्री चलाई। जिसे देखने कई स्टूडेंट्स जुट गए। इतने में यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को इसकी भनक लग गई और प्रोजेक्टर पर चलाई गई इस डॉक्यूमेंट्री को तुरंत बंद करवा दिया गया। इससे पहले लगभग आधी डॉक्यूमेंट्री चल चुकी थी

26 जनवरी: गणतंत्र दिवस पर केरल कांग्रेस ने डॉक्यूमेंट्री दिखाई
केरल कांग्रेस ने गणतंत्र दिवस के मौके पर BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) यह स्क्रीनिंग तिरुवनंतपुरम में शंकुमुघम बीच पर की। पार्टी ने कहा- ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा सके इसलिए बीच पर इसकी स्क्रीनिंग की गई है।

26 जनवरी: हैदराबाद यूनिवर्सिटी में SFI और ABVP के बीच हुआ बवाल
26 जनवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच विवाद हुआ। SFI ने 400 से अधिक छात्रों को विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जवाब में RSS की स्टूडेंट्स विंग और ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी कैंपस में 'द कश्मीर फाइल्स' डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की।

यह तस्वीर SFI ने सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें हैदराबाद में स्टूडेंट्स BBC की डॉक्यूमेंट्री देखते नजर आ रहे हैं।
यह तस्वीर SFI ने सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें हैदराबाद में स्टूडेंट्स BBC की डॉक्यूमेंट्री देखते नजर आ रहे हैं।

ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर कैंपस में BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की अनुमति देने का आरोप लगाया। इसके विरोध में कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी मेन गेट पर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने BBC की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगा दिया है तो कैंपस में उसे दिखाने की इजाजत कैसे दी गई।

इससे पहले 21 जनवरी को भी स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। छात्रों ने इसके लिए न यूनिवर्सिटी प्रशासन को सूचना दी और न ही इजाजत ली थी। मामला सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने एक्शन लिया।

27 जनवरी: दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुआ हंगामा
27 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्रों और पुलिस में ठन गई। छात्रों का कहना था कि वे यह डॉक्यूमेंट्री देखना चाहते हैं, जबकि पुलिस उन्हें देखने नहीं दे रही है। वहीं, पुलिस का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, लिहाजा इसकी स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती।

पुलिस ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी के पास धारा 144 लागू है। यहां भीड़ जमा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हंगामे के बाद कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया।

17 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड टेलिकास्ट हुआ
BBC ने 17 जनवरी को गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री द मोदी क्वेश्चन का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया। इसमें 2002 में गुजरात में हुए दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की भूमिका होने का दावा किया गया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम नहीं जानते कि डॉक्‍यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार है।

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BBC डॉक्यूमेंट्री के पीछे कौन:सरेशवाला बोले- PM मोदी को दिखाया, लेकिन प्रवीण तोगड़िया और हरेन पंड्या का जिक्र ही नहीं

गोधरा कांड के 21 साल बाद BBC ने डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' क्यों बनाई? इसमें कितनी सच्चाई है और इसके पीछे कौन था? डॉक्यूमेंट्री में कई धागों को बुना गया है। ब्रिटेन के तब विदेश मंत्री रहे जैक स्ट्रॉ से लेकर गुजराती मूल के लॉर्ड आदम पटेल इससे जुड़े हुए हैं। भारतीय कारोबारी और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला इन सभी लोगों के बीच की कड़ी थे।

भास्कर ने जफर सरेशवाला से इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। 2002 के सांप्रदायिक दंगों के बाद जब मुसलमान मोदी के खिलाफ हुए, तो सरेशवाला उनमें से एक थे। उन्होंने अहमदाबाद से लंदन तक उनका पुतला फूंका। सरेशवाला कहते हैं कि डॉक्यूमेंट्री में मोदी का जिक्र है, लेकिन प्रवीण तोगड़िया और हरेन पंड्या का क्यों नहीं। पढ़ें पूरी खबर...

BBC डॉक्यूमेंट्री पर अमेरिका ने बदला स्टैंड, कहा- हम प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं

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