भारत में पहली बार हो रहे ऑल इंडिया डिस्ट्रिक लीगल सर्विस अर्थोरिटी मीट में भाग लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे। यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक साथ कोई मंच शेयर किया हो। मोदी ने कहा- हमारे गांव-गांव में लोग ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं। दुनिया का चालीस फीसदी ऑनलाइन पेमेंट भारत में होता है। इसमें हम सबसे आगे हैं।
मोदी ने अपना भाषण श्लोक सुनाकर शुरू किया। वे बोले- अङ्गेन गात्रं नयनेन वक्त्रं न्यायेन राज्यं लवणेन भोज्यं। यानी जिस तरह विभिन्न अंगों से शरीर की, आंखों से चेहरे की, नमक से भोजन की सार्थकता पूरी होती है, वैसे ही न्याय से शासन की सार्थकता होती है। हमारे देश सामान्य से सामान्य व्यक्ति को यह विश्वास है, जब कोई नहीं सुनेगा, तब न्यायालय के दरवाजे खुले हैं। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये अहसास दिलाता है कि देश उसके अधिकारों की रक्षा कर रहा है।
मुझे बताया गया है कि हमारे देश में जिला कोर्ट में एक करोड़ से ज्यादा केस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुने जाते हैं। साठ लाख केस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स में भी सुने गए हैं। यह अच्छा मैसेज है कि हम खुद को लगातार बदल रहे हैं। इसका श्रेय आप सभी को जाता है। मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा- आप सभी (जजों) के बीच आना बड़ा सुखद होता है, लेकिन बोलना कठिन हो जाता है।
ज्यादातर लोग मौन रहकर पीड़ा सकते हैं: रमना
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि जनसंख्या का बहुत कम हिस्सा ही अदालतों में पहुंच सकता है और अधिकतर लोग जागरूकता और आवश्यक माध्यमों के अभाव में मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं। लोगों को सक्षम बनाने में तकनीक की बड़ी भूमिका निभा रही है। उन्होंने न्यायपालिका से न्याय देने की गति बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरण अपनाने की अपील की।
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