ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून लाने के बाद अब सरकार तलाक के अन्य तरीकों के गलत इस्तेमाल पर नकेल कसने की तैयारी कर चुकी है। ट्रिपल तलाक असंवैधानिक है, फिर भी इससे मिलते-जुलते कुछ तरीके जैसे तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसल और तलाक-ए-बाइन के मामले सुनने को मिल रहे हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार एक लीगल फ्रेमवर्क तैयार कर रही है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति दे चुकी है। अब केंद्र सरकार को जवाब दायर करना है। कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को बताएगी कि इस दिशा में काम चल रहा है।
काजी की मंजूरी से पूरी होने वाले तलाक में हस्तक्षेप नहीं
सरकार तलाक में काजी की मंजूरी से पूरी होने वाली प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती। मकसद सिर्फ प्रक्रिया को बेहतर करना है, ताकि इनका गलत इस्तेमाल न हो सके। इसलिए सरकार कानून बनाने के बजाए कुछ दिशा-निर्देश तय कर सकती है।
सूत्र बताते हैं कि तलाक के समय कौन गवाह था? तारीख व समय क्या था? कारण क्या था? तरीका क्या था? ऐसी सभी प्रमुख जानकारियां किसी सरकारी प्लेटफॉर्म पर डालने का नियम बनाया जा सकता है।
करोड़ों मुस्लिम लड़कियों का भला चाहती हैं बेनजीर
बेनजीर ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल कर तलाक-ए-हसन और अदालती तरीके से न होने वाले दूसरे सभी किस्म के तलाक को असंवैधानिक करार देने की मांग की है। उनकी मांग है कि कोर्ट शरीयत एप्लिकेशन एक्ट, 1937 की धारा 2 को रद्द करने के साथ डिसॉल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939 को भी पूरी तरह निरस्त करने का आदेश दे, क्योंकि ये सभी पूरी तरह से अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और संयुक्त राष्ट्र समिट्स के फैसलों के खिलाफ हैं।
तलाक-ए-हसन क्या है?
यह प्रक्रिया 3 महीने में पूरी होती है। पति हर महीने एक बार तलाक बोलता है। इस अवधि में समझौता हो जाता है तो तलाक रद्द हो जाता है। अगर ऐसा नहीं होता तो तीसरे महीने रिश्ता खत्म हो जाता है।
तलाक-ए-अहसन क्या है?
यह प्रक्रिया भी तीन महीने की है। इसमें पति पहले महीने पत्नी को तलाक बोलता है और वे तीन महीने साथ रहते हैं। इस तलाक के बाद पति-पत्नी दोबारा निकाह भी कर सकते हैं।
तलाक-ए-बाइन क्या है?
इसे तलाक-ए-किनाया भी कहते हैं। इसमें एक बार बोलकर तलाक दिया जाता है। यह तलाक बोलकर, लिखकर या वॉट्स एप मैसेज के जरिये भी दिया जा सकता है। इसमें पति काजी की मौजूदगी में एक बैठक में, या सार्वजनिक रूप से या लिखकर या मैसेज कर पत्नी को कहता है कि मैं तुमसे अलग हो रहा हूं।
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत पर लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को केवल तीन तलाक बोलकर शादी तोड़ने को असंवैधानिक बताया। तलाक-ए-बिद्दत कही जाने वाली इस प्रक्रिया पर अधिकतर मुस्लिम उलेमाओं ने भी कहा था कि यह कुरान के मुताबिक नहीं है।
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