बजाज के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज नहीं रहे। शनिवार को उनका पुणे में निधन हो गया। वे 83 साल के थे। राहुल बजाज हमेशा खुलकर राय रखते थे। कहा जाता है कि देश में जब इंदिरा गांधी की सरकार थी, उस वक्त उन्होंने देश में लाइसेंस राज के खिलाफ आवाज उठाई थी। इस नियम की वजह से स्कूटर खरीददारों को बुक कराने के बाद भी स्कूटर हासिल करने में महीनों लग जाते थे।
जब शुरू किया देश में चेतक और सुपर का उत्पादन
राहुल बजाज ने देश में चेतक और सुपर जैसे स्कूटरों का उत्पादन शुरू किया, जो बेहद कम समय में आम आदमी का सपना बन गया। बाद में उनका विज्ञापन हमारा बजाज आम आदमी के जबान पर चढ़ गया।
लाइसेंस राज का खुलकर किया था विरोध
राहुल बजाज ने लाइसेंस राज का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर इसके लिए मुझे जेल भी जाना पड़े तो चला जाऊंगा। कोई परवाह नहीं करूंगा। इसी लाइसेंस राज को बाद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहते खत्म कर दिया था। जिसके बाद से देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई।
जब ब्यूरोक्रेट की बेटी को दे बैठे थे दिल, बनाया जीवनसाथी
साल 2016 में एक साक्षात्कार में राहुल बजाज ने कहा था कि 1961 में जब रूपा और मेरी शादी हुई तो भारत के पूरे मारवाड़ी-राजस्थानी उद्योगपति घराने में वो पहली लव-मैरिज थी। रूपा महाराष्ट्र की ब्राह्मण थीं। उनके पिता सिविल सर्वेंट थे और हमारा व्यापारी परिवार था।
ऐसे में दोनों परिवारों में तालमेल बैठाना थोड़ा मुश्किल था। मैं रूपा का बहुत सम्मान करता हूं, क्योंकि उनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। उनकी पत्नी का निधन 2013 में हो गया था।
जब राहुल नाम रखने पर नाराज हो गई थीं इंदिरा
नेहरू-गांधी परिवार और बजाज परिवार में काफी घनिष्ठता थी। महात्मा गांधी राहुल बजाज के दादा जमनालाल बजाज को अपना पांचवां बेटा मानते थे। राहुल के पिता कमलनयन बजाज और जवाहरलाल नेहरु पक्के दोस्त थे तो उनके बच्चे का नामकरण खुद जवाहरलाल नेहरू ने किया। इंदिरा गांधी को जब यह पता चला कि कमलनयन बजाज ने अपने बच्चे का नाम राहुल रखा है तो वे नाराज हो गईं। दरअसल, वे खुद अपने बच्चे का नाम राहुल रखना चाहती थीं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.