कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता शुक्रवार दोपहर करीब 2.30 बजे रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी है। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया गया है। राहुल ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
इस मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12.30 बजे राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, 27 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा।
कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था। इधर, राहुल ने फैसले के करीब 3 घंटे बाद ट्वीट कर लिखा, 'मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।'
लोकसभा सचिवालय ने ये पत्र जारी किया है...
अब आगे क्या, 3 अहम पॉइंट...
कांग्रेस क्या कर रही है
राहुल गांधी की टीम अब सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रही है। अगर सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को वहां स्वीकार नहीं किया जाता है तो सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल को अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था।
अब जानिए राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता क्यों गई
2019 लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।’
इसके बाद सूरत पश्चिम के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे पूरे समाज को चोर कहा है और यह हमारे समाज की मानहानि है। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेशी के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
उनके वकील के मुताबिक, 'राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।'
इसी मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का जुर्माना भी लगाया। इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी। मानहानि के मामले में 2 साल की जेल अधिकतम सजा है। यानी इससे ज्यादा इस मामले में सजा नहीं दी जा सकती है।
राहुल गांधी के वकील बाबू मांगूकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया था। साथ ही उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया, ताकि उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके।
2013 में राहुल ने ही फाड़ा था अध्यादेश, पास हो जाता तो राहुल को मुश्किल ना होती
2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए।
24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था- ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। इसके बाद ये अध्यादेश वापस ले लिया गया था।
राहुल की सदस्यता रद्द होने पर किसने क्या कहा...
राहुल गांधी पर मानहानि के 4 और मुकदमे चल रहे हैं, जिन पर फैसला बाकी...
अब जानिए किन-किन नेताओं को गंवानी पड़ी सदस्यता
लालू यादव : चारा घोटाले के बाद संसद सदस्यता गई
चारा घोटाले के मामले में साल 2013 में कोर्ट ने लालू यादव को दोषी ठहराते हुए 5 साल के जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी। साथ ही लालू सजा पूरी करने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सके।
रशीद मसूद : MBBS सीट घोटाले में 4 साल की सजा पाने के बाद सांसदी गई
MBBS सीट घोटाले में कांग्रेस के सांसद रशीद मसूद की सदस्यता चली गई थी। काजी रशीद कांग्रेस से राज्यसभा पहुंचे थे। कांग्रेस ने उन्हें UP से राज्यसभा में भेजा था। राज्यसभा सांसद रहते उन्हें MBBS सीट घोटाले में दोषी पाया गया। कोर्ट ने साल 2013 में चार साल की सजा सुनाई थी। इससे उनकी सांसदी चली गई।
अशोक चंदेल : उम्रकैद होने पर विधायकी गई
हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की सदस्यता रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत साल 2019 में चली गई थी। 19 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने उन्हें हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सजा सुनाई थी।
कुलदीप सेंगर : उम्रकैद होने पर विधानसभा सदस्यता खत्म
उन्नाव में नाबालिग से सामूहिक रेप केस में बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई थी। विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से सजा के ऐलान के दिन यानी 20 दिसंबर 2019 से ही उनकी सदस्यता खत्म किए जाने का आदेश जारी किया गया था।
अब्दुल्ला आजम : 2 साल की सजा के बाद विधायकी गई
इसी साल फरवरी में मुरादाबाद की एक विशेष कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सपा नेता आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी। UP विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को 2 दिन बाद ही रिक्त घोषित कर दिया था।
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