राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म:फैसले के 3 घंटे बाद कहा- भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, हर कीमत चुकाने को तैयार

नई दिल्ली2 महीने पहले
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राहुल गांधी पहली बार 2004 में अमेठी से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2009 और 2014 में भी अमेठी से जीते। 2019 का चुनाव वह अमेठी से हार गए थे, लेकिन केरल के वायनाड से जीत गए थे। - Dainik Bhaskar
राहुल गांधी पहली बार 2004 में अमेठी से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2009 और 2014 में भी अमेठी से जीते। 2019 का चुनाव वह अमेठी से हार गए थे, लेकिन केरल के वायनाड से जीत गए थे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता शुक्रवार दोपहर करीब 2.30 बजे रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी है। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया गया है। राहुल ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।

इस मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12.30 बजे राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, 27 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा।

कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था। इधर, राहुल ने फैसले के करीब 3 घंटे बाद ट्वीट कर लिखा, 'मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।'

राहुल गांधी ने सांसदी जाने के फैसले के 3 घंटे बाद ट्वीट किया।
राहुल गांधी ने सांसदी जाने के फैसले के 3 घंटे बाद ट्वीट किया।

लोकसभा सचिवालय ने ये पत्र जारी किया है...

अब आगे क्या, 3 अहम पॉइंट...

  1. लीगल एक्सपर्ट के मुताबिक लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। इलेक्शन कमीशन अब इस सीट पर इलेक्शन का ऐलान कर सकता है। दिल्ली में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने को भी कहा जा सकता है।
  2. अगर राहुल गांधी की सजा का फैसला ऊपरी अदालतें भी बरकरार रखती हैं तो वे अगले 8 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल की सजा पूरी करने के बाद वह छह साल के लिए अयोग्य रहेंगे।
  3. राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस ने एक्शन की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर किसी सांसद को अयोग्य घोषित कर सकते हैं।

कांग्रेस क्या कर रही है
राहुल गांधी की टीम अब सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रही है। अगर सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को वहां स्वीकार नहीं किया जाता है तो सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल को अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था।

ये फोटो सूरत एयरपोर्ट का है। सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी दिल्ली लौट गए थे।
ये फोटो सूरत एयरपोर्ट का है। सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी दिल्ली लौट गए थे।

अब जानिए राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता क्यों गई
2019 लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।’

इसके बाद सूरत पश्चिम के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे पूरे समाज को चोर कहा है और यह हमारे समाज की मानहानि है। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेशी के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।

उनके वकील के मुताबिक, 'राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।'

इसी मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का जुर्माना भी लगाया। इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी। मानहानि के मामले में 2 साल की जेल अधिकतम सजा है। यानी इससे ज्यादा इस मामले में सजा नहीं दी जा सकती है।

राहुल गांधी के वकील बाबू मांगूकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया था। साथ ही उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया, ताकि उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके।

2013 में राहुल ने ही फाड़ा था अध्यादेश, पास हो जाता तो राहुल को मुश्किल ना होती

ये फोटो 24 सितंबर 2013 की है, जब राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार का अध्यादेश फाड़ा था।
ये फोटो 24 सितंबर 2013 की है, जब राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार का अध्यादेश फाड़ा था।

2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए।

24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था- ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। इसके बाद ये अध्यादेश वापस ले लिया गया था।

राहुल आज सुबह भी लोकसभा पहुंचे थे, यहां उन्होंने अडाणी मुद्दे पर बात की थी।
राहुल आज सुबह भी लोकसभा पहुंचे थे, यहां उन्होंने अडाणी मुद्दे पर बात की थी।

राहुल की सदस्यता रद्द होने पर किसने क्या कहा...

  • केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर: राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड के एक भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं, उन्हें संसद में सच्चाई से दूर जाने की आदत है। मुझे लगता है कि राहुल खुद को संसद, कानून और देश से ऊपर मानते हैं। उन्हें लगता है कि गांधी परिवार कुछ भी कर सकता है।
  • प्रियंका गांधी: डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे। सच बोलते हुए जिये हैं, सच बोलते रहेंगे। देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। सच्चाई की ताकत और करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है।
  • कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश: हम इस लड़ाई को कानूनी और राजनीतिक दोनों तरह से लड़ेंगे। हम भयभीत या चुप नहीं होंगे। PM से जुड़े अडानी महामेगा स्कैम में JPC के बजाय, राहुल गांधी अयोग्य हैं। भारतीय लोकतंत्र ओम शांति।
  • कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे: भाजपा ने राहुल को अयोग्य घोषित करने के लिए सभी तरीके आजमाए। जो सच बोल रहे हैं उन्हें वो पसंद नहीं करते, लेकिन हम सच बोलते रहेंगे। राहुल का बयान किसी समाज के संबंध में नहीं है, जो लोग पैसे लेकर भागे, जैसे ललित मोदी, नीरव मोदी और विजय माल्या वे क्या पिछड़े समाज से थे?
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत: देश में जिस तरह का भय, हिंसा का माहौल बना है, उसमें ED, न्यायपालिका, चुनाव आयोग पर दबाव है। ये तानाशाही है। संसद चल नहीं पा रही, एक सांसद बोल नहीं पा रहा। भारत जोड़ो यात्रा से सरकार घबराई हुई है, इसलिए विपक्ष की कोई मांग पूरी नहीं होने दे रही।
  • अभिषेक मनु सिंघवी: सेक्शन 103 के तहत सदस्यता रद्द करने का फैसला राष्ट्रपति के द्वारा होना चाहिए था। वहां भी राष्ट्रपति पहले चुनाव आयोग से सुझाव लेते हैं, फिर कोई फैसला होता है, लेकिन इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन: सरकार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्रवाई वापस लेनी ही होगी।
  • तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का आज काला दिन है। राहुल गांधी को संसद से अयोग्य घोषित करना नरेंद्र मोदी के अहंकार और तानाशाही को दिखाता है।

राहुल गांधी पर मानहानि के 4 और मुकदमे चल रहे हैं, जिन पर फैसला बाकी...

  1. 2014 में राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था। एक संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर IPC की धारा 499 और 500 के तहत मामला दर्ज कराया था। ये केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है।
  2. 2016 में राहुल गांधी के खिलाफ असम के गुवाहाटी में धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बरपेटा सतरा में संघ सदस्यों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इससे संघ की छवि को नुकसान पहुंचा है। ये मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है।
  3. 2018 में राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की राजधानी रांची में एक और केस दर्ज किया गया। ये केस रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रहा है। राहुल के खिलाफ IPC की धारा 499 और 500 के तहत 20 करोड़ रुपए मानहानि का केस दर्ज है। इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्होंने 'मोदी चोर है' कहा था।
  4. 2018 में ही राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में एक और मानहानि का केस दर्ज हुआ। ये मामला मझगांव स्थित शिवड़ी कोर्ट में चल रहा है। IPC की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज है। केस संघ के कार्यकर्ता ने दायर किया था। राहुल पर आरोप है कि उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को BJP और संघ की विचारधारा से जोड़ा।

अब जानिए किन-किन नेताओं को गंवानी पड़ी सदस्यता

लालू यादव : चारा घोटाले के बाद संसद सदस्यता गई

लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री और देश के रेल मंत्री रह चुके हैं।
लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री और देश के रेल मंत्री रह चुके हैं।

चारा घोटाले के मामले में साल 2013 में कोर्ट ने लालू यादव को दोषी ठहराते हुए 5 साल के जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी। साथ ही लालू सजा पूरी करने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सके।

रशीद मसूद : MBBS सीट घोटाले में 4 साल की सजा पाने के बाद सांसदी गई

रशीद मसूद को कांग्रेस ने यूपी से राज्यसभा भेजा था।
रशीद मसूद को कांग्रेस ने यूपी से राज्यसभा भेजा था।

MBBS सीट घोटाले में कांग्रेस के सांसद रशीद मसूद की सदस्यता चली गई थी। काजी रशीद कांग्रेस से राज्यसभा पहुंचे थे। कांग्रेस ने उन्हें UP से राज्यसभा में भेजा था। राज्यसभा सांसद रहते उन्हें MBBS सीट घोटाले में दोषी पाया गया। कोर्ट ने साल 2013 में चार साल की सजा सुनाई थी। इससे उनकी सांसदी चली गई।

अशोक चंदेल : उम्रकैद होने पर विधायकी गई

अशोक चंदेल बुंदेलखंड के कद्दावर नेता और भाजपा के विधायक थे।
अशोक चंदेल बुंदेलखंड के कद्दावर नेता और भाजपा के विधायक थे।

हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की सदस्यता रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत साल 2019 में चली गई थी। 19 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने उन्हें हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सजा सुनाई थी।

कुलदीप सेंगर : उम्रकैद होने पर विधानसभा सदस्यता खत्म

भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

उन्नाव में नाबालिग से सामूहिक रेप केस में बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई थी। विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से सजा के ऐलान के दिन यानी 20 दिसंबर 2019 से ही उनकी सदस्यता खत्म किए जाने का आदेश जारी किया गया था।

अब्दुल्ला आजम : 2 साल की सजा के बाद विधायकी गई

अब्दुल्ला आजम।
अब्दुल्ला आजम।

इसी साल फरवरी में मुरादाबाद की एक विशेष कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सपा नेता आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी। UP विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को 2 दिन बाद ही रिक्त घोषित कर दिया था।

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