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रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस:कोरोना मरीजों के लिए देशभर में ट्रेनों से ऑक्सीजन भेजी जाएगी, सरकार इंटस्ट्रीज की ऑक्सीजन भी अस्पतालों को देगी

नई दिल्ली2 वर्ष पहले
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कोरोना मरीजों की वजह से बढ़ी मांग और देशभर में ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए रेलवे ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाएगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने साेशल मीडिया पर बताया कि ट्रेनों से देशभर में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर डिलीवर किए जाएंगे। जल्द ही इन ट्रेनों को चलाया जाएगा। फास्ट सप्लाई के लिए ग्रीन कॉरिडोर भी बनेंगे।

इधर, केंद्र सरकार ने अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाने के लिए उद्योगों को ऑक्सीजन देने पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार की तरफ से रविवार शाम को जारी आदेश के मुताबिक, अब केवल 9 इंडस्ट्रीज को ही ऑक्सीजन सप्लाई जारी रहेगी। ये इंटस्ट्रीज हैं..

  1. इंजेक्शन और वैक्सीन की शीशी बनाने वाली यूनिट्स
  2. फार्मास्यूटिकल कंपनियां
  3. पेट्रोलियम रिफाइनरी
  4. स्टील प्लांट
  5. न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट
  6. ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने के प्लांट
  7. वेस्ट वॉटर को शुद्ध करने की यूनिट
  8. भोजन और पानी को साफ करने वाली यूनिट​​​​​​
  9. फर्नेस प्रोसेस करने वाली यूनिट

MP, महाराष्ट्र ने रेल से ऑक्सीजन लाने को कहा था
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्ट करने की संभावनाओं पर विचार करने को कहा था। इसके बाद रेलवे ने लिक्विड ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्टेशन की तकनीकी दिक्कतों के बारे में पता लगाया। सारी चीजें तय होने के बाद फैसला लिया गया कि मालगाड़ी की खाली बोगियों पर ऑक्सीजन टैंकर भेजे जाएंगे। मुंबई के बोइसर में रविवार को इसका ट्रायल किया गया। यहां एक भरे हुए टैंकर फ्लैट वैगन पर लोड करके देखा गया।

ऑक्सीजन टैंकर लाने-ले जाने के लिए 3 शहरों में बनेंगे रैंप
इस मुद्दे पर 17 अप्रैल को रेलवे बोर्ड के अधिकारियों, स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर्स और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के बीच मीटिंग हुई। इसमें जोनल रेलवे को निर्देश दिए गए कि ट्रेलर मंगाने और उन्हें वापस लोड करने में तेजी दिखाई जाए। इसके लिए विजाग, अंगुल और भिलाई में रैंप किए जाएंगे। मुंबई के कालांबोली में बने रैंप को और मजबूत बनाया जाना है।

सप्लाई के लिए ग्रीन कॉरिडोर भी बनेगा
अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र से ऑक्सीजन लेने के लिए 10 खाली टैंकर सोमवार को विशाखापट्टनम, विजाग, जमशेदपुर, राउरकेला और बोकारो भेजे जाएंगे। इससे अगले कुछ दिनों में ऑक्सीजन एक्सप्रेस शुरू होने की उम्मीद है। इससे हम जहां कहीं भी मांग है, वहां ऑक्सीजन भेज पाएंगे। ऑक्सीजन एक्सप्रेस को तेजी से चलाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है।

संक्रमण बढ़ने के बाद 2 गुनी हुई ऑक्सीजन की खपत
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल कहा कि पिछले साल कोरोना संक्रमण शुरू होने से पहले मेडिकल ऑक्सीजन की रोजाना खपत 1000-1200 मीट्रिक टन थी। 15 अप्रैल को देश में 4,795 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया। हमने पिछले एक साल में उत्पादन क्षमता बढ़ाई है। गोयल ने कहा कि आज 12 राज्यों के साथ हुई मीटिंग में 6177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर चर्चा हुई है। रेलवे के जरिए इन राज्यों को सप्लाई जल्द से जल्द की जा रही है।

22 अप्रैल से इंडस्ट्रीज पर ऑक्सीजन की पाबंदी
केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल से 9 सेक्टर को छोड़कर बाकी उद्योगों को सप्लाई पर अस्थायी रूप से पाबंदी लगा दी है। रेल मंत्री गोयल ने कहा कि राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड पर नियंत्रण रखना होगा। जितना जरूरी सप्लाई मैनेजमेंट है, डिमांड मैनेजमेंट भी उतना ही जरूरी है।

12 राज्यों को मिलेगी 6177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन

महाराष्ट्र1500 मीट्रिक टन
उत्तर प्रदेश800 मीट्रिक टन
नई दिल्ली350 मीट्रिक टन

अभी राज्यों में ऑक्सीजन की स्थिति
दिल्ली: केजरीवाल ने केंद्र से मदद मांगी

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्‌ठी लिखकर कोरोना मरीजों के लिए 7000 बेड रिजर्व करने और तुरंत ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए कहा है। दिल्ली में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी हो गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ICU बेड सीमित संख्या में हैं। ऑक्सीजन और ICU बेड तेजी से कम हो रहे हैं।

मध्यप्रदेश : ऑक्सीजन की कमी जानलेवा बनी
यहां के शहडोल मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई का प्रेशर कम होने से शनिवार को 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई। सभी ICU में भर्ती थे। यहां के उज्जैन में कुछ महीने पहले 4,200 रुपए में मिलने वाला ऑक्सीजन सिलेंडर 15 हजार रुपए देने पर भी नहीं मिल रहा है। इससे पहले 15 अप्रैल को जबलपुर में लिक्विड प्लांट में आई खराबी के कारण ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से 5 मरीजों की मौत हो गई थी।

उत्तर प्रदेश: लखनऊ PGI में मांग 10 गुना बढ़ी
राजधानी लखनऊ समेत कई बड़े शहरों में हालात खराब हैं। अस्पतालों में जगह नहीं है। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के घरवाले खुद ऑक्सीजन सिलेंडर ढो रहे हैं। ऑक्सीजन फैक्ट्रियों के बाहर लंबी कतारें हैं। लखनऊ PGI में पहले रोज 50 सिलेंडर की खपत थी, अब 500 लग रहे हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर बनाने वालों के मुताबिक, पहले रोज 1200 सिलेंडर तैयार करते थे अब 1900 कर रहे हैं। फिर भी कमी है।

महाराष्ट्र: दूसरे राज्यों से मांगनी पड़ रही ऑक्सीजन
8 अप्रैल को प्रदेश में 34,100 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। अप्रैल के अंत तक यह आंकड़ा 9 लाख पहुंच सकता है। ऐसा हुआ तो ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। महाराष्ट्र 30-50 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गुजरात और 50 टन छत्तीसगढ़ से मंगाने की कोशिश कर रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन वे बंगाल में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।

राजस्थान: सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल में ही कमी
राजस्थान के सबसे बड़े कोविड अस्पताल जयपुर के RUHS में 1,700 ऑक्सीजन सिलेंडर वर्किंग हैं और 1,500 का बैकअप है। यहां रोज 100 से ज्यादा मरीज भर्ती हो रहे हैं। वहीं, 700 से ज्यादा मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। यहां जरूरत 800 से ज्यादा सिलेंडर की है। भिवाड़ी से आने वाले लिक्विड ऑक्सीजन को सिलेंडरों में भरने के लिए आरयूएचएस में प्लांट लगाया गया है। इसमें 1,700 सिलेंडर की ऑक्सीजन हर समय तैयार रहती है।

पंजाबः 25% ऑक्सीजन बेड ही भरे
पंजाब में मेडिकल आक्सीजन बनाने वाली 7 यूनिट हैं। यहां 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तैयार होती है। इसके अलावा हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड से 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आती है। अभी पंजाब में 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड है। प्रदेश में अभी केवल 25% ऑक्सीजन बेड भरे हैं। बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं।

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