व्यापार, किसान क्रेडिट कार्ड, सब्सिडी या सरकारी योजना से लेकर छोटे किसानों को दी जाने वाली सालाना 6 हजार रुपए के लिए भी बैंक में बचत खाते की जरूरत होती है। लेकिन देश में 15% लोगों के खाते ही नहीं हैं। खास बात यह है कि बचत खाते खुलवाने में राजस्थान और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण आगे हैं। गुजरात सबसे पीछे है। यहां ग्रामीण क्षेत्र के 26% लोगों के पास बैंक खाते ही नहीं हैं।
जबकि उत्तर प्रदेश की स्थिति गुजरात से बेहतर हैं। यहां 86.7% ग्रामीणों का बचत खाता है। हाल ही जारी हुई केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की अखिल भारतीय ऋण एवं निवेश सर्वे 2019 में यह जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों के बचत खातों और उनके बीच प्रतिशत की तुलना है। इसके अनुसार, गुजरात में जहां शहरी आबादी में 83.5% लोगों के बचत खाते हैं। वहीं ग्रामीण आबादी के केवल 73.8% लोगों के ही बैंक में खाते खुले हैं।
गांवों में रहने वाली पिछड़ी जातियां बेहतर
रिपोर्ट में एससी, एसटी, ओबीसी और सामान्य लोगों की तुलना भी है। गांवों में रहने वाले एससी कैटेगरी के लोग शहरों से बेहतर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बचत खाते 84.9% और शहरी क्षेत्र में 83.6% हैं। यही हाल ओबीसी का है। इस समाज के ग्रामीण क्षेत्र में 85% लोगों के खाते हैं।
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