जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को एक नोटिस जारी कर कहा है कि अब वकील और अन्य लोग जजों के लिए माय लॉर्ड और योर लॉर्डशिप जैसे शब्द इस्तेमाल न करें। कोर्ट ने कहा कि संविधान में समानता के अधिकार के सम्मान के लिए 14 जुलाई को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में इस बात पर एकमत से सहमति बनी कि अदालत के सामने पेश होने वाले वकील और अन्य लोग जजों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
फुल कोर्ट की बैठक में यह प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश एस रवीन्द्र भट्ट की तरफ से रखा गया। सभी न्यायाधीशों ने इसका समर्थन किया। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सभी वकील इस नियम का पालन करें। राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने मुख्य न्यायाधीश और फुल कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के उलट है राजस्थान हाईकोर्ट का पक्ष
इससे पहले अप्रैल में इलाहबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल में अपने अफसरों को आदेश जारी कर कहा था कि वे जब भी जजों को कोर्ट की गैलरी से निकलता देखें तो आदरपूर्वक रुकें और उन्हें सम्मान दें। कोर्ट ने कहा था कि आदेश के बाद अधिकारियों की किसी भी तरह की चूक को गंभीरता से लिया जाएगा।
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