केंद्र सरकार ने देश में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। यह जानकारी कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में दी। उन्होंने बताया- सरकार ने 21वें लॉ कमीशन को समान नागरिक संहिता को लेकर उठे सवालों की जांच का जिम्मा सौंपा था। सरकार ने कमीशन को जांच के बाद अपनी सिफारिशें सौंपने को भी कहा था। 21वें कमीशन का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को खत्म हो गया था। अब उनसे मिली सूचनाएं 22वें कमीशन को सौंपी जा सकती हैं।
UCC के फायदे
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जाएंगे। समान नागरिक संहिता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा। कुछ समुदाय के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। ऐसे में यदि UCC लागू होता है तो महिलाओं को भी समान अधिकार लेने का लाभ मिलेगा। महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने से संबंधित सभी मामलों में एक सामान नियम लागू होंगे।
गोवा में पुर्तगाल सरकार के समय से लागू है UCC
गोवा में पुर्तगाल सरकार के समय से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया था। 1961 में गोवा सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड के साथ ही बनी थी। अब गुजरात और मध्यप्रदेश में सरकार UCC लागू करने की पूरी तैयारी में है। इसके लिए कमेटी गठित की गई है। हालांकि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू भी किया जा चुका है।
ब्रिटिश सरकार में उठा था यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा
1835 में ब्रिटिश सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की। इसमें क्राइम, एविडेंस और कॉन्ट्रैक्ट्स को लेकर देशभर में एक समान कानून बनाने की बात कही गई। 1840 में इसे लागू भी कर दिया गया, लेकिन धर्म के आधार पर हिंदुओं और मुसलमानों के पर्सनल लॉ को इससे अलग रखा गया। बस यहीं से यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग की जाने लगी।
1941 में बीएन राव कमेटी बनी। इसमें हिंदुओं के लिए कॉमन सिविल कोड बनाने की बात कही गई। आजादी के बाद 1948 में पहली बार संविधान सभा के सामने हिंदू कोड बिल पेश किया गया। इसका मकसद हिंदू महिलाओं को बाल विवाह, सती प्रथा, घूंघट प्रथा जैसे गलत रिवाजों से आजादी दिलाना था।
जनसंघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी, करपात्री महाराज समेत कई नेताओं ने इसका विरोध किया। उस वक्त इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। 10 अगस्त 1951 को भीमराव अंबेडकर ने पत्र लिखकर नेहरू पर दबाव बनाया तो वो इसके लिए तैयार हो गए। हालांकि राजेंद्र प्रसाद समेत पार्टी के आधे से ज्यादा सांसदों ने उनका विरोध कर दिया। आखिरकार नेहरू को झुकना पड़ा। इसके बाद 1955 और 1956 में नेहरू ने इस कानून को 4 हिस्सों में बांटकर संसद में पास करा दिया।
जो कानून बने वो इस तरह से हैं-
संविधान में यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में क्या कहा गया है?
संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग- 4 में यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा है। राज्य के नीति-निदेशक तत्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘राज्य, देशभर में नागरिकों के लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कराने का प्रयास करेगा।’ हमारे संविधान में नीति निदेशक तत्व सरकारों के लिए एक गाइड की तरह है। इनमें वे सिद्धांत या उद्देश्य बताए गए हैं, जिन्हें हासिल करने के लिए सरकारों को काम करना होता है।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.