संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन (11 अगस्त को) सुरक्षा बलों से बदसलूकी के आरोप में राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों को पूरे शीत सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। 110 दिन पहले हुई इस घटना पर संसद के शीत सत्र में कार्रवाई हुई है। संसद का यह सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा।
सोमवार को संसद की कार्रवाई शुरू हुई। कृषि कानून वापसी बिल लोकसभा-राज्यसभा में पास होने के बाद सदनों की कार्रवाई मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इधर, सूत्रों के हवाले से खबर है कि मंगलवार को निलंबित सांसद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से मिलकर माफी मांग सकते हैं।
कांग्रेस के 6; TMC, शिवसेना और लेफ्ट के 6 MP
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सोमवार को निलंबित सांसदों के नाम की घोषणा की। इनमें कांग्रेस के 6 सांसद: फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल हैं। ममता बनर्जी की पार्टी TMC से डोला सेन और शांता छेत्री को सस्पेंड किया गया है।
इसके अलावा शिवसेना से प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई शामिल हैं। वहीं CPM के एलाराम करीम और CPI के बिनॉय विश्वम भी निलंबित होने वाले सांसदाें की लिस्ट में शामिल हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- कल विपक्ष की बैठक
इधर, कार्रवाई को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान आया है। खड़गे ने कहा- अगर दूसरों के लिए आवाज उठाने वालों की आवाज दबाई जाती है, तो यह लोकतंत्र का गला घोटने जैसा है। हम इसकी निंदा करते हैं, सभी दल इसकी निंदा करते हैं। आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए कल हमारी बैठक होगी।
क्या हुआ था 11 अगस्त को?
11 अगस्त को इंश्योरेंस बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था। संसद के अंदर विपक्ष के महिला-पुरुष सांसदों और मार्शलों के बीच जमकर खींचातानी हुई थी। उस दिन हुए हंगामे पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था, 'जो कुछ सदन में हुआ है, उसने लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किया है।'
उधर, विपक्ष का कहना था कि कोई भी बिल पास कराने की कोशिश की गई तो अंजाम भुगतना होगा। साथ ही विपक्ष ने महिला सांसदों के साथ बदसलूकी का भी आरोप लगाया था। इसे लेकर विपक्ष ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को ज्ञापन भी सौंपा था।
विपक्ष ने सरकार पर लगाए थे ये आरोप
विपक्ष को जवाब देने 8 केंद्रीय मंत्रियों ने की पीसी
11 अगस्त को दोपहर में सरकार के 8 मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और विपक्ष के हर आरोप का सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के अलावा मुख्तार अब्बास नकवी, धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर, अर्जुन मेघवाल और वी मुरलीधरन यानी 8 मंत्रियों ने 48 मिनट तक जवाब दिया।
48 मिनट में सरकार के विपक्ष पर 8 बड़े हमले
सरकार के 3 मंत्रियों के तल्ख बयान
1. संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा था- हमने विपक्ष से सहयोग की मांग की थी। बिल पास कराने के लिए भी साथ मांगा था, हम तो चाहते थे कि संसद और चले, पर ऐसा नहीं हुआ। लोकतंत्र की हत्या की बात करने वाले राहुल को देश से माफी मांगनी चाहिए। वो जानते हैं कि उन्होंने क्या किया है। टेबल पर चढ़कर सांसदों ने उपद्रव किया। महिला मार्शलों को चोट पहुंचाई गई। विपक्ष का तो एजेंडा ही यही था कि हंगामा करना है।
2. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था- विपक्ष ने सदन की गरिमा को गिरा दिया है। कोई मंत्री जवाब दे रहा है तो उसके हाथ से जवाब छीन लिया गया। जब विपक्ष से कहा कि माफी मांगिए तो उससे भी साफ इनकार कर दिया गया। वेल में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की।
मार्शल बुलाए तो उनसे धक्का मुक्की की गई। शीशा तोड़ा और ये शीशा महिला मार्शल को लगा। उसे चोट पहुंची है और ये दुखद है। एक रूल बुक चेयर की तरफ फेंक दी गई। अगर चेयर पर कोई होता तो वो बुरी तरह घायल हो जाता। ये हमला था। अब विपक्ष निराधार आरोप लगा रहा है ताकि मुद्दे से भटका सके और उस पर एक्शन न हो।
3. सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था- मानसून सेशन के दौरान सड़क से संसद तक अराजकता फैलाना ही विपक्ष का एकमात्र एजेंडा रहा है। जनता इंतजार करती रही कि उनके मुद्दे संसद में उठाए जाएंगे, इसके बावजूद विपक्ष का यही अराजक रवैया जारी रहा। विपक्ष को लोगों की, टैक्स भरने वालों की फिक्र नहीं है। जो भी हुआ, वो निंदनीय है।
घड़ियाली आंसू बहाने के बजाय विपक्ष को पूरे देश में माफी मांगनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने नए मंत्रियों से कहा था कि राज्यसभा जाएं और वहां पर बहस को ध्यान से सुनें। हमें नए मंत्रियों से पता चला कि मेजों पर तो डांस किया जा रहा था, वो पूछ रहे थे कि इन मेजों का दूसरा कोई इस्तेमाल भी है?
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