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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता राम माधव की अपने मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में करीब 6 साल बाद वापसी हो गई है। बेंगलुरु में चल रही संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में माधव को संघ में वापस लाने की घोषणा की गई।
साल 2014 में जब अमित शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, तब माधव संघ से BJP में लाए गए थे। उस दौरान उन्हें राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। जनवरी 2020 में जब जगत प्रकाश नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए गए तब उनकी टीम में माधव को जगह नहीं मिली। शाह के कार्यकाल में माधव को जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों का प्रभारी बनाया गया था। यहां उन्होंने ही भाजपा का परचम लहराने का काम किया।
जम्मू-कश्मीर में रही विशेष भूमिका
राम माधव की जम्मू-कश्मीर में भी अहम भूमिका रही है। चाहे बात भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) गठबंधन सरकार की हो या फिर धारा 370 हटाने को लेकर लिखी गई पूरी स्क्रिप्ट की। दोनों दलों के बीच, धारा 370, अफस्पा, पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों का भविष्य जैसे मुद्दों पर नजरिए बिल्कुल विपरीत थे। फिर भी जुलाई 2014 में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने माधव को पार्टी का मुख्य वार्ताकार बनाकर जम्मू-कश्मीर भेजा था। तब उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ भाजपा की सरकार बनी। तब भाजपा को डिप्टी सीएम का पद मिला।
पहली बार जम्मू-कश्मीर में भाजपा इतनी बड़ी भूमिका में थी। मुफ्ती मार्च 2015 से जनवरी 2016 तक सीएम रहे। उनकी मौत के बाद यह पद खाली हो गया। करीब तीन महीने तक सीएम पद को लेकर पेंच फंसा रहा। आखिरकार महबूबा मुफ्ती को 4 अप्रैल 2016 को भाजपा-पीडीपी गठबंधन का अगला मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद 19 जून 2018 को महबूबा को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी।
पूर्वोत्तर राज्यों में भी रहे भाजपा के तारणहार
जम्मू-कश्मीर के बाद राम माधव को अमित शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ भेजा था। माधव असम में तरुण गोगोई का किला ध्वस्त करने में कामयाब रहे। असम में पहली बार न केवल बीजेपी की सरकार बनी बल्कि हिमंत बिस्वा सरमा जैसे कांग्रेस के अहम नेता को राम माधव ने अपने पाले में किया। आज की तारीख में असम और मणिपुर में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी सरकार में सहयोगी पार्टी है। इसके साथ ही पार्टी ने त्रिपुरा में भी उन्हीं के संगठनात्मक सूझबूझ से पहली बार लाल का किला उखाड़ने में कामयाबी पाई और यहां पार्टी का मुख्यमंत्री बना।
संघ का 100 साल पुराना ड्रेस कोड बदलवाना माधव की ही सोच
संघ की 100 साल पुरानी ड्रेस कोड को बदलवाने का श्रेय भी माधव को ही जाता है। उनका मानना था कि संघ को आधुनिकता पर जोर देते हुए अपने विचारों के साथ काम करना होगा। ताकि टीवी और इंटरनेट वाली नई पीढ़ी को आकर्षित किया जा सके। माधव ने ही अपने शीर्ष नेताओं की नापसंदगी के बावजूद इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) को अपनाया। आज संघ प्रमुख मोहन भागवत का अपना ट्विटर एकाउंट है।
मूलतः आंध्र प्रदेश के रहने वाले 56 साल के राम माधव 2014 में संघ से बीजेपी की सक्रिय राजनीति में बड़ी खामोशी से आए थे। राम माधव को साल 2003 में एमजी वैद्य की जगह संघ का प्रवक्ता बनाया गया था। वैद्य, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को बार-बार अपने बयानों से घेरते रहते थे। ऐसे में माधव को प्रवक्ता की कमान सौंपी गई। प्रमोद महाजन की तरह माधव भी बड़े-बड़े मामलों में बड़ी सफाई और विश्वसनीयता से संघ का पक्ष रखते थे।
माधव को संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली
बेंगलुरु में शनिवार को संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्तात्रेय होसबोले को RSS का सरकार्यवाह चुना गया है। 2009 से संघ के सह सरकार्यवाह रहे होसबोले 73 वर्षीय भैय्याजी जोशी की जगह लेंगे। जोशी तीन-तीन वर्षों के लिए चार बार सरकार्यवाह के पद पर रह चुके हैं। राम माधव को संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है।
नई टीम में कुल पांच सह-सरकार्यवाह बनाए गए हैं। इसमें डॉ. कृष्ण गोपाल, मुकुंद सीआर, डॉ. मनमोहन वैद्य, राम दत्त, अरुण कुमार हैं। डॉ. कृष्ण गोपाल, मुकुंद और मनमोहन वैद्य इससे पहले भी यही जिम्मेदारी देख रहे थे। अरुण कुमार और राम दत्त को नया सह-सरकार्यवाह बनाया गया है, जबकि सुरेश सोनी को सह-सरकार्यवाह की जिम्मेदारी से मुक्त कर अखिल भारतीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है। नए सह-सरकार्यवाह बने अरुण कुमार अभी तक अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख की जिम्मेदारी देख रहे थे। इससे पहले वे संघ के थिंकटैंक जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक भी रहे।
वहीं, रामलाल को अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख का जिम्मा सौंपा गया है। रामलाल इससे पहले 13 साल तक भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे। 2020 में नड्डा के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें हटाकर बीएल संतोष को उनके पद पर लाया गया। इसके अलावा आलोक अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, जबकि सुनील आंबेडकर को अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख बनाया गया है।
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