कहानी - महात्मा गांधी बच्चों से अपने अलग ढंग से बात करते थे और अलग ढंग से समझाते थे। गांधी जी सिर्फ एक धोती लपेटते थे। एक दिन उनके पास एक छोटा बच्चा आया। उस बच्चे ने गांधी जी से कहा, 'आप ऊपर कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं?'
गांधी जी ने कहा, 'मैं बहुत गरीब हूं, मेरे पास पूरे कपड़े पहनने के लिए नहीं हैं।'
उस बच्चे ने तुरंत कहा, 'मैं अपनी मां से कहूंगा, वह आपके लिए एक कुर्ता बना देंगी आप उसे पहन लेना।'
उस बच्चे का प्रश्न सुनकर गांधी जी ने सोचा कि मुझे इस बच्चे को ऐसा उत्तर देना है, जिससे इस बच्चे के जीवन की नींव बन जाए। उन्होंने कहा, 'तुम्हारी मां मेरे लिए कितने कपड़े सिलेंगी, मेरा बहुत बड़ा परिवार है।'
बच्चा बोला, 'तो आपके पूरे परिवार के कपड़े सिल देंगी।'
गांधी जी ने कहा, '40 करोड़ लोग मेरे परिवार में हैं। बेटा ये भारत देश ही मेरा परिवार है। यहां अनेक लोग ऐसे हैं, जिनके पास कपड़े खरीदने के लिए पैसे नहीं है। उन्हें नंगे बदन रहना पड़ता है।'
बच्चा सोचने लगा तो गांधी जी ने उस बच्चे के सिर पर हाथ रखा और बोले, 'मैंने कपड़े इसलिए छोड़े हैं क्योंकि मैं सिर्फ ये चाहता हूं कि कोई भी नंगा और भूखा न रहे।'
उस बच्चे को ये बात समझ आ गई कि हमारे देश में बहुत सारे लोगों के पास अभाव है, बहुत कुछ ऐसा है जो सभी के पास नहीं है। उसने गांधी जी से कहा, 'मैं कोशिश करूंगा कि मैं सभी के लिए कपड़े ला सकूं।'
बच्चे के जाने के बाद गांधी जी से किसी ने पूछा, 'आप उस छोटे बच्चे को ये सब कहकर क्या समझाना चाहते थे?'
गांधी जी बोले, 'जब देश का एक-एक बच्चा ये समझ जाएगा कि केवल अपने बारे में ही नहीं सोचना है, दूसरों की मदद और सेवा भी करनी है, तब देश से अभाव खत्म हो जाएगा।
सीख - अगर हम समर्थ हैं तो हमें जरूरतमंद लोगों की मदद करने पीछे नहीं हटना चाहिए। जब हम सभी की मदद करने लगेंगे तो देश से अभाव खत्म हो जाएगा।
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