विक्टोरिया गौरी को जज बनाने के खिलाफ याचिका खारिज:वकील की दलील- हेट स्पीच दी, सुप्रीम कोर्ट बोला- 2018 में दी थी, कॉलेजियम ने ये देखा होगा

नई दिल्ली4 महीने पहले
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जिस दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, उसी दौरान विक्टोरिया गौरी (बाएं) ने मद्रास हाईकोर्ट ने न्यायाधीश की शपथ ली। - Dainik Bhaskar
जिस दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, उसी दौरान विक्टोरिया गौरी (बाएं) ने मद्रास हाईकोर्ट ने न्यायाधीश की शपथ ली।

एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट की जज बनाने के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दी। याचिका में गौरी के पॉलिटिकल बैकग्राउंड का हवाला देते हुए दलील दी गई थी कि जज की शपथ लेने वाले व्यक्ति की संविधान में पूरी आस्था होनी चाहिए।

बेंच ने कहा कि पहले भी ऐसे मौके आए हैं जब पॉलिटिकल बैकग्राउंड वाले लोग सुप्रीम कोर्ट में भी जज बने हैं। करीब 22 मिनट सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

याचिका पर सुनवाई के दौरान ही विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाईकोर्ट जज के रूप में शपथ ली। HC के एक्टिंग CJ जस्टिस टी राजा ने उन्हें शपथ दिलाई।

याचिका में अपील- BJP नेता हाईकोर्ट जज कैसे?

भारतीय जनता पार्टी के इवेंट के दौरान मौजूद मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस विक्टोरिया गौरी।
भारतीय जनता पार्टी के इवेंट के दौरान मौजूद मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस विक्टोरिया गौरी।

गौरी के अपॉइंटमेंट के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट 22 वकीलों के ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा था कि गौरी भाजपा नेता हैं। वकीलों ने कहा था कि विक्टोरिया गौरी ने इस्लाम को हरा आतंक और क्रिश्चियानिटी को सफेद आतंक जैसे बयान भी दिए थे।

पहले CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 10 फरवरी को मामले पर सुनवाई करने की बात कही थी, लेकिन एडवोकेट राजू के अनुरोध पर कोर्ट मंगलवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया। वकीलों ने कॉलेजियम और राष्ट्रपति को भी इस संबंध में पत्र लिखा है।

पढ़िए सुनवाई के दौरान किसने, क्या कहा

अपॉइंटमेंट के खिलाफ दलील: वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने कहा, "गौरी के हाईकोर्ट जज बनाए जाने के रिकमंडेशन को खारिज कर दिया जाना चाहिए। जो भी जज शपथ लेने जा रहा है, उसके लिए यह बेहद जरूरी है कि उसकी संविधान में पूरी आस्था हो। गौरी जो बयान पब्लिक में देती रही हैं, उससे वो शपथ लेने के लिए अयोग्य साबित हो जाती हैं। मामला मद्रास हाईकोर्ट की नजर में था। फिर 10.35 पर शपथ? 10.35 का क्या महत्व है? अदालत 5 मिनट में फैसला करेगी?"

जस्टिस संजीव खन्ना: पहले भी ऐसे मौके आए हैं, जब राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को अपॉइंट किया गया है। जिन बयानों का जिक्र किया जा रहा है, वो 2018 के हैं। मेरा मानना है कि गौरी के लिए रिकमंडेशन से पहले कोलेजियम ने निश्चित तौर पर इस पर भी विचार किया होगा।

अपॉइंटमेंट के खिलाफ दलील: सवाल पॉलिटिकल बैकग्राउंड का नहीं है। यह हेट स्पीच का मामला है। हेट स्पीच वह चीज है, जो पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। इसी के चलते गौरी जज की शपथ लेने के लिए अयोग्य हो जाती हैं। ये केवल कागजी शपथ होगी।

जस्टिस बीआर गवई: जज बनने से पहले मैं भी राजनीतिक पृष्ठभूमि का था। मैं 20 साल से न्यायाधीश हूं और कभी भी मेरा पॉलिटिकल बैकग्राउंड मेरे काम के आड़े नहीं आया।

ऑल इंडिया एडवोकेट यूनियन ने मद्रास HC में वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के शपथ ग्रहण के बाद विरोध प्रदर्शन किया।
ऑल इंडिया एडवोकेट यूनियन ने मद्रास HC में वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के शपथ ग्रहण के बाद विरोध प्रदर्शन किया।

वकीलों का आरोप-गौरी भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव हैं
एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को सोमवार 6 फरवरी को मद्रास हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इससे पहले 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जैसे ही राष्ट्रपति के पास गौरी के नाम की सिफारिश भेजी, मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।

22 वकीलों ने कॉलेजियम और राष्ट्रपति को लेटर लिखकर उन्हें जज न बनाने की मांग की थी। वकीलों का कहना था कि गौरी भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव हैं। उन्हें जज बनाने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही वकीलों ने लेटर में गौरी के विवादित बयानों का भी जिक्र किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केवल एक बार शपथ से पहले जज को हटाया

शपथ से पहले किसी जज के खिलाफ याचिका लगाने का यह पहला मामला नहीं था। कॉलेजियम की सिफारिश पाने के बावजूद जज की नियुक्ति रद्द करने का केवल एक ही मामला है। यह केस 1992 के कुमार पद्म प्रसाद v/s भारत सरकार का था। जहां सुप्रीम कोर्ट ने शपथ से पहले केएन श्रीवास्तव की गुवाहाटी HC जज के रूप में नियुक्ति कैंसिल कर दी थी।

नीचे हम गौरी का बयान दे रहे हैं जिसका जिक्र वकीलों ने कॉलेजियम और राष्ट्रपति को लिखे लेटर में किया है...

गौरी ने कहा था, "इस्लामी समूह वैश्विक स्तर पर ईसाई समूहों की तुलना में ज्यादा खतरनाक हैं, लेकिन अगर भारत की बात की जाए तो यहां ईसाई समूह इस्लामिक समूहों से ज्यादा खतरनाक हैं। वहीं, धर्म परिवर्तन कराने, खासकर लव जिहाद के मामलों में दोनों समूह समान रूप से खतरनाक हैं। अगर एक हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़का एक-दूसरे से प्रेम करते हैं तो मुझे उनकी शादी से कोई दिक्कत नहीं है।

अगर शादी के बाद हिंदू लड़की मुस्लिम लड़के के घर में उसकी पत्नी के रूप में रहने के बजाय किसी सीरियाई आतंकवादी शिविर में मिलती है, तो मुझे आपत्ति है। मेरे हिसाब से यही लव जिहाद की परिभाषा है।"

इस्लाम को हरा आतंक कह चुकी हैं गौरी
गौरी ने कहा था कि इस्लामिक आतंक हरा आतंक है तो ईसाईयत सफेद आतंक है। दोनों में धर्मांतरण, खासतौर पर लव जिहाद के मामले में समान रूप से खतरनाक है। उन्होंने कहा था कि ईसाई गीतों पर भरतनाट्यम नहीं किया जाना चाहिए। भगवान नटराज के आसन की तुलना ईसा मसीह से कैसे की जा सकती है। उन्होंने ये बयान 2012 से 2018 के बीच दिए थे।

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