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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। काटजू ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि किसानों द्वारा कोर्ट की कमिटी को नकारने के बाद सरकार को तुरंत ही कृषि कानून रद्द कर देना चाहिए और साथ ही हाई पावर किसान कमिशन का गठऩ करना चाहिए। अगर सरकार ने अभी सावधानी नहीं बरती तो 26 जनवरी को हिंसा के हालात बन सकते हैं। इस पत्र में काटजू ने किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार को दो सुझाव भी दिए हैं।
विरोध प्रदर्शन हद से बाहर हो चला है : काटजू
मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि भारत में किसान आंदोलन और इससे जुड़ी समस्याएं सीमा से बाहर जा रही हैं। किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त चार-सदस्यीय समिति में भाग लेने से इंकार कर दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक तीनों कानूनों को रद्द नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
गणतंत्र दिवस पर भड़क सकती है दिल्ली में हिंसा
जस्टिस काटजू ने आगे लिखा है कि बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली की सीमा पर कैंप लगाए हैं। वह 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश करने और अपने ट्रैक्टरों के साथ गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का दृढ़ संकल्प कर चुके हैं। साफ है कि सरकार द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी और इसके परिणामस्वरूप पुलिस और अर्धसैनिक बल गोलीबारी करेंगे, जिसके बाद हिंसा हो सकती है। उन्होंने आगे लिखा है कि "मुझे आशा है कि आप इस हिंसा से बचना चाहेंगे।" मेरे पास इन समस्याओं का हल है।
मार्कंडेय काटजू ने पीएम मोदी को 2 सुझाव दिए
1. सरकार को तीनों नए कृषि कानूनों को तुरंत निरस्त करने के लिए अध्यादेश जारी करना चाहिए। यदि आप ऐसे करेंगे तो हरे व्यक्ति आपकी तारीफ करेगा। यदि कोई पूछेगा कि कानून क्यों बनाया गया था, तो आप कह सकते हैं कि हमने गलती की। हमें अपनी गलती का एहसास हो गया है और अब हम इसे सुधार रहे हैं। क्योंकि गलती तो हरेक व्यक्ति से हो जाती है। ऐसा करने से आलोचना की बजाय आपकी तारीफ होने लगेगी।
2. इसके साथ ही सरकार को एक किसान संगठन, सरकार के प्रतिनिधि और कृषि विशेषज्ञों का एक मजबूत किसान आयोग का गठन करना चाहिए, जो किसानों की समस्याओं के हरेक मुद्दों को अपना कर्तव्य समझकर काम करेंगे। किसानों को उनकी फसलों का पर्याप्त मूल्य नहीं मिलता है। इसके चलते 3 से 4 लाख किसान पहले ही आत्महत्या कर चुके हैं। किसान समिति द्वारा कई महीनों तक इस पर चर्चा की जानी चाहिए और फिर सभी की सहमति से एक कानून बनाना चाहिए।
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