नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (एईएस) से पीड़ित बच्चों के इलाज से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट में अपनी अर्जी दायर करने की सलाह दी। इस दौरान बेंच ने कहा कि क्या यह बीमारी किसी के द्वारा फैलाई गई है? हम क्या कर सकते हैं? इस याचिका में डॉक्टरों के खाली पद भरने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
1) हम जजों के खाली पद भरने की कोशिश कर रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा, ''पद खाली हैं तो इसे स्वास्थ्य मंत्रालय को देखना चाहिए। आप क्या चाहते हैं? हमें डॉक्टरों के खाली पद भरना शुरू कर देना चाहिए? हम न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हम ही जानते है कि हमें कितनी सफलता मिली है। हम डॉक्टरों के मामले में ऐसा नहीं कर सकते। वहां डॉक्टरों, जजों, मंत्रियों, पानी और सूरज की रोशनी की कमी है। हम सब कैसे देख सकते हैं।''
याचिककार्ता वकील मनोहर प्रताप का दावा- बिहार में डॉक्टरों के 57% पद खाली पड़े हैं। इसके लिए केंद्र और बिहार सरकार को निर्देश जारी करना चाहिए। एक कमेटी का गठन किया जाए, जो बच्चों के इलाज की निगरानी करे। बिहार में 2019 में चमकी बुखार से अब तक 176 बच्चों की मौत हुई।
साथ ही कर्मचारियों की लापरवाही से मारे गए लोगों के परिजन को बिहार सरकार के द्वारा 10 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है। हालांकि, नीतीश सरकार पहले ही एईएस से जान गंवाने वालों के परिवार को 4 लाख रु की मदद का ऐलान कर चुके हैं।
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