प्रॉपर्टी में भाइयों से कम हिस्सा मिला, महिला SC पहुंची:कहा- शरीयत कानून में महिलाओं से भेदभाव हो रहा, यह संविधान के खिलाफ

नई दिल्ली11 दिन पहले
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सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम महिला ने याचिका दाखिल कर शरीयत कानून में महिलाओं के साथ संपत्ति के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया है। उसने कहा कि शरीयत कानून में महिलाओं को पॉपर्टी में समान अधिकार नहीं मिलता, इसे दूर करने की जरूरत है। देश के संविधान में महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया है। इसके बाद भी मुस्लिम महिलाएं भेदभाव का शिकार हो रही हैं।

यह याचिका बुशरा अली नाम की महिला ने दाखिल की है। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 भाई-बहनों को नोटिस जारी किया है, जिसमें चार बहनें शामिल हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय करोल की बेंच करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल हाई कोर्ट ने 6 जनवरी को इस मामले में शरीयत कानून के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे बुशरा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

बुशरा ने बताया कि परिवार में संपत्ति के बंटवारे उन्हें पुरुष सदस्यों की तुलना में आधी हिस्सेदारी मिली थी। इसी को आधार बनाते हुए उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ कानून के सेक्शन 2 को चुनौती दी है। बुशरा का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन है, जो जाति, धर्म या जेंडर का आधार पर लोगों से भेदभाव को रोकता है। बुशरा ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद-13(1) का भी उल्लंघन करता है।

संविधान के अनुच्छेद-13 में प्रावधान है कि भारत में संविधान से पहले जो भी कानून थे, वह संविधान के दायरे में होगा और अगर वह मौलिक अधिकार का हनन करता है तो वह कानून अमान्य होगा।

क्या कहता है मुस्लिम पर्सनल लॉ
एडवोकेट सलीम अहमद खान के मुताबिक मुस्लिम में शरीयत एक्ट 1937 के तहत संपत्ति का निपटारा किया जाता है। इसमें किसी शख्स की मौत होने पर उसके संपत्ति में उनके बेटे, बेटी, पत्नी और माता-पिता को हिस्सा दिया जाता है। कानून के तहत बेटी को बेटे की तुलना में आधी प्रॉपर्टी देने का प्रावधान है। पति की मौत के बाद पत्नी को संपत्ति का 6वां हिस्सा दिया जाता है। वहीं, माता-पिता के लिए भी हिस्सेदारी तय की गई है।