सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान सड़कों पर रह रहे अनाथ बच्चों के पुनर्वास से जुड़े मामले में फिर केंद्र और राज्यों के प्रति नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार काे कहा, सरकार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने में व्यस्त है। यह बात हम समझते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अनाथ बच्चों की तत्काल जरूरतों को नजरअंदाज करें। हम दो साल से इस बारे में आदेश जारी कर रहे हैं। राज्य हमारे आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे। ऐसा रहा तो हमें सख्त कदम उठाने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास में तेजी लाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, ओडिशा से बच्चों की पहचान और पुनर्वास में तेजी लाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से बताया गया कि ज्यादातर प्रशासनिक अधिकारी कोरोना की तीसरी लहर से जूझने में व्यस्त हैं। इस पर जस्टिस राव ने कहा, कोरोना और दूसरी दिक्कतों के बीच अनाथ बच्चों की परेशानी ज्यादा है। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। सभी राज्यों के जिला मजिस्ट्रेट सड़कों पर रह रहे बच्चों की पहचान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और स्वयंसेवी संस्था को शामिल करें।
वे बच्चों की जानकारी और बच्चों के लिए किए गए कार्यों की जानकारी भी पोर्टल पर डालें। मगर इस मुद्दे पर तेजी से काम करना होगा क्योंकि इस ठंड के मौसम में अनाथ बच्चों की तत्काल जरूरतें इंतजार नहीं कर सकती। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 3 हफ्ते के भीतर मामले की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष दायर करें।
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