तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह को दूध ब्रांड अमूल को लेकर पत्र लिखा है। उन्होंने शाह से अमूल को प्रदेश की को-ऑपरेटिव आविन से तुरंत दूध लेना बंद करने के निर्देश देने की अपील की है। इससे पहले कर्नाटक में अमूल और राज्य के नंदिनी ब्रांड को लेकर टकराव के हालात बने थे।
को-ऑपरेटिव के बीच अस्वस्थ कॉम्पिटिशन शुरू हो सकता है
स्टालिन ने पत्र में लिखा कि अब तक अमूल राज्य में अपने केंद्रों से दूध बेचता था, लेकिन अब आविन से दूध खरीदने लगा है। हमें जानकारी मिली है कि हाल ही में अमूल ने अपने मल्टी स्टेट को ऑपरेटिव लाइसेंस का इस्तेमाल करके राज्य के कृष्णागिरी जिले में चिलिंग सेंटर और प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया है।
इससे राज्य में डेयरी बिजनेस में काम कर रहे को-ऑपरेटिव के बीच अस्वस्थ कॉम्पिटिशन शुरू हो सकता है। रीजनल को-ऑपरेटिव राज्यों में डेयरी के डेवलपमेंट का आधार रही हैं। वे उत्पादकों को शामिल करने, उनका पोषण करने और कस्टमर को मनमाने मूल्य की वृद्धि से बचाने के लिए काम कर रही हैं।
अमूल का यह कदम ऑपरेशन व्हाइट फ्लड की भावना के खिलाफ
स्टालिन ने लिखा कि भारत में को-ऑपरेटिव को एक-दूसरे के मिल्क शेड इलाके का उल्लंघन किए बिना काम करने देने की आदर्श व्यवस्था रही है। अमूल का इस तरह का क्रॉस प्रोक्योरमेंट ऑपरेशन व्हाइट फ्लड की भावना के खिलाफ है।
यह कदम देश में मौजूदा दूध की कमी के हालात को देखते हुए कस्टमर की समस्या बढ़ा देगा। अमूल का यह काम आविन के मिल्क शेड इलाके का उल्लंघन करता है।
तमिलनाडु में टॉप को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन है आविन
स्टालिन ने शाह को बताया कि आविन हमारा टॉप को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन है। इसके दायरे में ग्रामीण इलाकों में 9,673 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां काम कर रही हैं। ये लगभग 4.5 लाख सदस्यों से 35 LLPD दूध खरीदते हैं।
तमिलनाडु में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए आविन दुग्ध उत्पादकों के पशुओं के लिए पशु चारा, मिनिरल मिक्सचर, पशु के सेहत की देखभाल और प्रजनन की सेवाएं जैसे विभिन्न इनपुट भी देता है। इसके अलावा यह हमारे देश में सबसे कम कीमतों पर कस्टमर को क्वालिटी वाला दूध और दुग्ध के प्रोडक्ट की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
आविन ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों की आजीविका में सुधार करने और कस्टमर की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में अहम रोल निभाता है।
कर्नाटक में अमूल की एंट्री को लेकर हुआ था विवाद
इससे पहले 5 अप्रैल को अमूल ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि वो कर्नाटक में एंट्री के लिए तैयार है। इसके बाद अमूल और कर्नाटक के स्थानीय ब्रांड नंदिनी को लेकर विवाद शुरू हो गया था। कांग्रेस ने भाजपा पर राज्य के डेयरी ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। कर्नाटक के CM सिद्धारमैया ने लोगों से अमूल के उत्पाद न खरीदने की शपथ लेने का कहा था।
77 साल पुराना ब्रांड है अमूल
आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (AMUL) की स्थापना साल 1946 में की गई थी। अमूल गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) के अंतर्गत काम करता है। देशभर में अमूल की 1,44,500 डेयरियां हैं, जिसमें रोजाना 1.5 करोड़ पशुपालक दूध पहुंचाते हैं।
कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, अमूल हर दिन 18,600 गांवों से 2.60 करोड़ लीटर से ज्यादा दूध इकट्ठा करता है। देशभर में अमूल के कई उत्पाद काफी पॉपुलर हैं।
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