कश्मीर में जारी बर्फबारी के चलते LOC के पार बैठे आतंकियों ने अपने बेस जम्मू की अंतरराष्ट्रीय सीमा की ओर शिफ्ट कर दिए हैं। इस खुफिया इनपुट के बाद सेना और सुरक्षाबलों ने भी रणनीति बदल ली है। सुरक्षाबलों ने घुसपैठ के ऐसे ही कई संभावित पॉइंट तलाशकर सुरक्षा बढ़ा दी है
दरअसल, आतंकी संगठनों के हैंडलर सीमा पर फेंसिंग तोड़कर घुसपैठियों के छोटे समूह को धकेलने की कोशिश करते हैं। कहीं-कहीं नालों की आड़ में भी घुसपैठ होती है। घुसपैठ रोकने की रणनीति बनाने के लिए सेना के वरिष्ठ अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों की व्यापक समीक्षा के लिए सोमवार से दिल्ली में 5 दिन की बैठक कर रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के आकलन के अनुसार, कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बाद आतंकियों का पूरा फोकस जम्मू सीमा की ओर सियालकोट सेक्टर के मैदानी इलाकों में फैले लॉन्चिंग पैड्स पर है।
190 किमी लंबे बॉर्डर पर पैदल निगरानी कर रहे हैं सुरक्षाबल
BSF ने सीमा पर गश्त तेज कर दी है। नाइट विजन डिवाइस और थर्मल इमेजर की मदद से सीमा पार नजर रखी जा रही है। जम्मू क्षेत्र के BSF के अधिकारी ने बताया- हमारे जवान पहाड़पुर और अखनूर के बीच 190 किमी. लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा को पैदल ही कवर कर रहे हैं।
हर साल घट रहीं घुसपैठ की घटनाएं
घुसपैठ | आतंकी | वारदात | आतंकी मारे |
2018 | 143 | 417 | 257 |
2019 | 138 | 255 | 157 |
2020 | 51 | 244 | 221 |
2021 | 34 | 229 | 180 |
ड्रोन से आ रहे हथियार सबसे बड़ी चुनौती
पाकिस्तान के आतंकी हैंडलर छोटे हथियारों की खेप भारतीय सीमा रेखा के अंदर गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में जम्मू, सांबा और कठुआ के सीमावर्ती जिलों में ड्रोन से हथियार गिराने की दो दर्जन से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। हथियारों को ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) का नेटवर्क कलेक्ट कर रहा है।
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