पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के एक बयान से राज्य की राजनीति गर्म हो गई है। दरअसल, सोमवार को कोलकाता की सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डी लिट की ऑनरेरी उपाधि दी थी। राज्यपाल ने अपने हाथ से उन्हें उपाधि देते हुए उनकी तुलना पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णनन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल से कर दी।
पहले जानते हैं राज्यपाल ने क्या कहा
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपने उद्बोधन में कहा- डॉ. राधाकृष्णनन शानदार प्रोफेसर, विचारक और लेखक थे। हमारे पास एपीजे अब्दुल कलाम जैसी शख्सितय है, जिसने युवाओं के लिए विंग्स ऑफ फायर लिखी और अपनी कलम से युवाओं को प्रेरित किया। हमारे पास अटल बिहारी वाजपेयी थे, जिनकी टीम में ममता बनर्जी शामिल थीं। यह सभी सियासत में होने के साथ-साथ लेखक भी थे। पश्चिम बंगाल का निवासी होने के नाते हमारे लिए यह गर्व की बात है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसी परंपरा का पालन कर रही हैं।
उन्होंने केंद्र से पैसा जारी किए जाने में देरी का जिक्र करते हुए कहा कि उम्मीद है केंद्र सरकार गरीबों के हित में पैसा जारी करेगी।
जवाब में भाजपा ने सद्दाम हुसैन ओर माओत्से तुंग से तुलना की
राज्यपाल के बयान पर भाजपा में सबसे ज्यादा नाराजगी है। पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा- राज्यपाल इस तरह बोल रहे थे, जैसे विधानसभा के बजट सेशन का भाषण पढ़ने की तैयारी कर रहे हों। उन्होंने कहा- किताबें तो अडोल्फ हिटलर, मुसोलिनी, सद्दाम हुसैन और माओत्से तुंग ने भी लिखी हैं। लेकिन ये सभी मानवाधिकार हनन के दोषी हैं।
उन्होंने कहा- मैं राज्यपाल के बयान से आंशिक सहमत हूं। ममता बनर्जी विंस्टन चर्चिल की तरह हो सकती हैं, जो 1943 में बंगाल में आए अकाल के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। यह एक तरह का नरसंहार था, जिसमें 40 लाख से जयादा लोग भूख और कुपोषण से मारे गए थे।
TMC ने दिया जवाब
तृणमूल कांग्रेस (TMC) से राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा- भाजपा इस कदर जलन का शिकार है कि वह राज्यपाल और मुख्यमंत्री को राज्य की बेहतरी के लिए एक साथ काम करते नहीं देख पा रही है। सेन ने आरोप लगाया कि जगदीप धनखड़ जब राज्यपाल थे तब भाजपा ने राजभवन को अपने पार्टी ऑफिस की तरह इस्तेमाल किया। वर्तमान राज्यपाल निष्पक्ष काम कर रहे हैं। वे भाजपा के हिसाब से नहीं चल रहे हैं।
134 किताबें लिख चुकी हैं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने 134 किताबें लिखी हैं। ये किताबें उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और लेपचा भाषा में लिखी हैं। उनकी पहली किताब 1995 में उपलब्धि नाम से आई थी। अब तक उनकी आई किताबों में व्हाई वी आर सेइंग नो एनआरसी, नो सीएए, बंगाल कैन, बंगाल हेरिटेज, लह प्रणाम छड़ा, छोराय, कविता बितान, कोविडर दिनलिपी, दुआरे सरकार प्रमुख हैं। पिछले साल प्रकाशित हुई उनकी पुस्तक खेला होबे खूब बिकी थी।
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