केंद्र सरकार ने बुधवार को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल वापस ले लिया। सरकार इसकी जगह साइबर स्पेस में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन के लिए नया बिल लाएगी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिल वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जो ध्वनि मत से पारित हो गया।
बिल लोकसभा में पेश होने के बाद विपक्ष ने इसके कई प्रावधानों का विरोध किया था। इसके बाद 11 दिसंबर 2019 को संयुक्त समिति के पास समीक्षा के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट्स में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि समिति ने 81 बदलावों का सुझाव दिया था। इसके बाद सरकार ने बिल वापस लेने का फैसला किया।
आगे क्या: सरकार ने कहा कि कमेटी ने 81 बदलावों का प्रस्ताव दिया और 15 अलग सिफारिशें भी की हैं। हमने मौजूदा बिल को वापस लेने और नए बिल लाने पर विचार किया है। जो संयुक्त कमेटी और कानूनी ढांचे के लिहाज से ठीक हो। यानी अब नए बिल का रास्ता साफ हो गया है।
वापस क्यों लिया: 2019 में संसद में बिल पेश होने के बाद कांग्रेस और तृणमूल ने कहा था कि ये बिल जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस बिल के कानून बनने पर सरकार के पास लोगों के पर्सनल डेटा हासिल करने की आजादी मिल जाएगी। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कारण बताकर ये डेटा हासिल कर सकेगी। बिल कमेटी के पास रिव्यू के लिए भेजा गया और फिर बहुत सारे बदलाव के सुझाव देखते हुए इसे वापस ले लिया गया।
क्या था बिल: इस बिल के तहत सरकार, भारतीय कंपनियों और लोगों के डेटा से डील करने वाली विदेशी कंपनियों को यूजर्स का पर्सनल डेटा प्रोसेस करने का अधिकार मिलता। पर्सनल डेटा में किसी व्यक्ति से जुड़ी वह सारी विशेषताएं शामिल हैं, जिनसे उसकी पहचान हो सकती हो। इस बिल में चुनिंदा पर्सनल डेटा को संवेदनशील माना गया है। इसमें उसकी वित्तीय जानकारी, बायोमीट्रिक डेटा, जाति, धर्म और राजनीतिक मान्यताएं और वह सारा डेटा शामिल है, जिसे सरकार संवेदनशील मानती है।
गलत तरीके से भारतीयों का डेटा भेज रही 348 ऐप्स ब्लॉक
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि सरकार ने 348 मोबाइल एप्लीकेशंस को ब्लॉक किया है। ये ऐप्स गलत तरीके से भारतीय यूजर्स का डेटा विदेशों में भेज रही थीं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने कहा था कि ये एप्लीकेशंस भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
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