रामंदिर, ताजमहल और संसद में इस्तेमाल हो चुका राजस्थान का पत्थर अब विदेशों में भी पहचान बना चुका है। अब नागौर के मकराना के मार्बल से मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा जैन देरासर आकार लेगा। 55 फुट ऊंचा, 54 फुट चौड़ा और 72 फुट लंबा यह शिखरबद्ध देरासर 3 वर्ष में तैयार करने का संकल्प है। पावन अयोध्यानगरी में श्रीराम मंदिर के शिल्पकार सोमपुरा समाज ने देरासर की डिजाइन तैयार की है।
इस देरासर की उम्र 1000 वर्ष होगी। इसके लिए गुजरात से 600 से अधिक शिल्पकार मेलबर्न जाएंगे। सोमपुरा समाज मंदिर सहित आस्थास्थल निर्माण में पारंगत है। सोमपुरा समाज के अग्रणी और विख्यात शिल्पकार राजेश सोमपुरा ने बताया कि मेलबर्न में आकार ले रहा जिनालय 72 फुट लंबा होगा। 55 फुट ऊंचा और 54 फुट चौड़ाई लिए होगा।
इसके निर्माण कार्य को तीन वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है। तय की गई डिजाइन के अनुसार शिल्पकार रात-दिन काम कर रहे हैं। 30 फीसदी निर्माण कार्य हो गया है। मेलबर्न जैन संघ के प्रमुख नीतिन जोशी ने बताया कि परम पूजनीय जगवल्लभसूरीश्वरजी महाराज की मौजूदगी में 4 अगस्त को देरासर का शिलान्यास हो चुका है। 21 शिलाओं का पूजन हुआ।
यह देरासर समूचे ऑस्ट्रेलिया का पहला और सबसे ऊंचा शिखरबद्ध देरासर है जो आकार ले रहा है। इससे पहले बंशीपुर पहाड़ी से निकला गया राम मंदिर में इस्तेमाल हाे रहा है। इसके अलावा पुरानी संसद और ताजमहल में भी राजस्थान का ही पत्थर इस्तेमाल हुआ। राजस्थानी पत्थर के बारे में कहा जाता है कि यह नक्काशी के लिए अच्छा होता है।
मकराना के मार्बल में नहीं होती पानी की सीपेज, इसलिए प्रसिद्ध
देरासर में राजस्थान के मकराना का 1500 टन शुद्ध मार्बल का उपयोग किया जाएगा। भूगर्भ शास्त्रियों व पत्थर के जानकारों का मत है कि मकराना का मार्बल विश्व में सबसे पुराना व सबसे बेहतरीन किस्म का है। यह 90 प्रतिशत से ज्यादा शुद्ध कैल्शियम कार्बोनेट है, जिसमें पानी की सीपेज बिल्कुल नहीं होती। इसलिए इसका उपयोग होगा।
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