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जोशीमठ में 2 लग्जरी होटल गिराने की कार्रवाई रोकी:678 इमारतें असुरक्षित, साइंटिफिक स्टडी पूरी; कुछ इलाकों को सील भी किया जाएगा

देहरादून2 महीने पहलेलेखक: वैभव पलनीटकर
जोशीमठ में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। मुआवजे और पुनर्वास के अलावा वो जोशीमठ को बचाने की मांग कर रहे हैं।

उत्तराखंड के जोशीमठ में मंगलवार को 2 होटल गिराए जाने की कार्रवाई स्थानीय लोगों के विरोध के बाद रोक दी गई। यहां मकानों में दरारें आने के बाद एक्सपर्ट टीम ने होटलों को गिराने का फैसला लिया है। लग्जरी होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू में से पहले मलारी इन को गिराया जाएगा। दोनों 5-6 मंजिला होटल हैं।

इन्हें गिराने का काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) की निगरानी में होगा। SDRF की टीम भी मौके पर है। इस मामले पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग की अपील की थी। अदालत ने इनकार कर दिया है। सुनवाई 16 जनवरी को होगी।

होटल मालिकों ने कहा कि उन्हें होटल गिराने से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हमें नोटिस तो दिया जाना था। होटल मलारी के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने मुआवजे की मांग की।

पूरे इलाके की साइंटिफिक स्टडी हुई, कुछ इलाके सील किए जाएंगे
दो होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू गिराए जाएंगे। SDRF के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने कहा कि टीम ने आज होटल मालारी इन गिराने का फैसला था। सबसे पहले ऊपरी हिस्सा गिराया जाएगा। दोनों होटल एक-दूसरे के काफी करीब आ चुके हैं। इनके आसपास मकान हैं, इसलिए इन्हें गिराना जरूरी है। होटल और ज्यादा धंसे तो गिर जाएंगे। SDRF तैनात कर दी गई है। लाउडस्पीकर से लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा जा रहा है।

उत्तराखंड के DGP ने कहा अभी 678 इमारतें असुरक्षित हैं। ज्यादातर इमारतों को खाली करा लिया गया है। ये प्रक्रिया अभी जारी है। पूरे इलाके की साइंटिफिक स्टडी हो चुकी है और कुछ इलाकों को सील भी किया जाएगा।

फोटो होटल मलारी इन और माउंट व्यू की है, जिनकी इमारतें एक-दूसरे के काफी करीब आ चुकी हैं।
फोटो होटल मलारी इन और माउंट व्यू की है, जिनकी इमारतें एक-दूसरे के काफी करीब आ चुकी हैं।

आज के बड़े अपडेट्स...

  • कैबिनेट सेक्रेट्री राजीव गाबा की चेयरमैनशिप में नेशनल क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक हुई। इसमें जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र में सभी निवासियों की पूर्ण और सुरक्षित निकासी को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया।
  • लोगों ने जोशीमठ में मार्च निकाला और नारेबाजी की। उनका कहना है कि पुनर्वास ठीक से किया जाए और मुआवजा उचित हो।
  • आज गृह मंत्रालय की एक टीम जोशीमठ आएगी और लैंडस्लाइड में हुए नुकसान का जायजा लेगी।
  • अब तक 4 हजार लोगों को जोशीमठ के खतरे वाले इलाकों से हटाया गया है।

आज के दो बड़े बयान

1. सुप्रीम कोर्ट- लोकतांत्रिक संस्थाएं इस मामले को देख रहीं

सुप्रीम कोर्ट ने जोशी मठ पर दायर की गई स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट 16 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोकतंत्र के जरिए चुने गए संस्थान है, जो इस मामले को देख रहे हैं। हर मामला हमारे पास लाना जरूरी नहीं।

2. होटल मालिक बोले- नोटिस तो दिया जाना था
होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा, "अगर लोगों के भले के लिए इमारत गिराई जानी है तो मैं सरकार के साथ हूं। फिर चाहे जरा सी ही दरार ही क्यों न आई हो। लेकिन मुझे नोटिस तो दिया जाना था। होटल का मूल्यांकन करते। मैंने ऐसा करने को कहा है। इसके बाद मैं चला जाऊंगा।"

जोशी मठ के डेंजर जोन में स्थित मकान की तस्वीर। इसमें बड़ी-बड़ी दरारें साफ दिखाई दे रही हैं।
जोशी मठ के डेंजर जोन में स्थित मकान की तस्वीर। इसमें बड़ी-बड़ी दरारें साफ दिखाई दे रही हैं।

जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया
राज्य सरकार ने जोशीमठ को तीन जोन में बांटने का फैसला किया है। ये जोन होंगे- डेंजर, बफर और सेफ जोन। डेंजर जोन में ऐसे मकान होंगे जो ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं। ऐसे मकानों को मैन्युअली गिराया जाएगा, जबकि सेफ जोन में वैसे घर होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और जिसके टूटने की आशंका बेहद कम है। बफर जोन में वो मकान होंगे, जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है। एक्सपर्ट्स की एक टीम दरार वाले मकानों को गिराने की सिफारिश कर चुकी है।

लैंडस्लाइड से हमारा कोई लेना देना नहीं- NTPC
राज्य की पावर प्रोड्यूसर कंपनी NTPC ने कहा है कि तपोवन विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट का जोशीमठ में हो रहे लैंडस्लाइड से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि जोशीमठ लैंडस्लाइड के लिए NTPC के एक हाइड्रो प्रोजेक्ट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि NTPC के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरंग खोदी गई, जिस वजह से शहर धंस रहा है। हालांकि NTPC ने इन सब बातों को खारिज कर दिया है।

यह फोटो जोशीमठ में NTPC के उत्तराखंड के जोशीमठ में एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्लांट की है।
यह फोटो जोशीमठ में NTPC के उत्तराखंड के जोशीमठ में एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्लांट की है।

जोशीमठ का हाल बयां करती 3 तस्वीरें...

जोशीमठ में अब तक 68 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
जोशीमठ में अब तक 68 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
जोशीमठ में मकानों में दरार आने के चलते कई लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं।
जोशीमठ में मकानों में दरार आने के चलते कई लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं।
जोशीमठ में जमीन धंसने के चलते वहां मौजूद एक मंदिर गिर गया।
जोशीमठ में जमीन धंसने के चलते वहां मौजूद एक मंदिर गिर गया।

जोशीमठ के मकानों पर रेड क्रॉस
जोशीमठ के सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग एरिया डेंजर जोन में हैं। यहां के मकानों पर रेड क्रॉस लगाए गए हैं। प्रशासन ने इन मकानों को रहने लायक नहीं बताया है। चमोली DM हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ और आसपास के इलाकों में कंस्ट्रक्शन बैन कर दिया गया है।

यहां 603 घरों में दरारें आई हैं। ज्यादातर लोग डर के चलते घर के बाहर ही रह रहे हैं। किराएदार भी लैंड स्लाइड के डर से घर छोड़कर चले गए हैं। अभी तक 70 परिवारों को वहां से हटाया गया है। बाकियों को हटाने का काम चल रहा है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे रिलीफ कैंप में चले जाएं।

डेंजर जोन में आए सभी मकानों पर रेड क्रॉस मार्क लगाया गया है। ये घर अब रहने लायक नहीं है।
डेंजर जोन में आए सभी मकानों पर रेड क्रॉस मार्क लगाया गया है। ये घर अब रहने लायक नहीं है।

जोशीमठ में हर साल 2.5 इंच धंस रही जमीन:स्टडी

जोशीमठ की सैटैलाइट तस्वीर में लाल डॉट्स में वो जमीन बताई गई है जो धंस रही है।
जोशीमठ की सैटैलाइट तस्वीर में लाल डॉट्स में वो जमीन बताई गई है जो धंस रही है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग की एक स्टडी में पाया गया है कि जोशीमठ और इसके आसपास हर साल 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही है। देहरादून स्थित संस्थान ने सैटेलाइट डेटा का उपयोग करते हुए यह स्टडी की है। जुलाई 2020 से मार्च 2022 तक जुटाई गई सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे धंस रहा है। डेटा से पता चलता है कि धंसने वाले हिस्से जोशीमठ तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरी घाटी में फैले हुए हैं।

जोशीमठ के धंसने से जुड़ी भास्कर की ये खास खबरें भी पढ़ें...

उत्तराखंड के जोशीमठ पर डूबने का खतरा:बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार के कई घर-दुकानों और होटलों में दरारें

वैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की पांच मेंबर वाली टीम पहले दरारों की जांच कर चुकी है।
वैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की पांच मेंबर वाली टीम पहले दरारों की जांच कर चुकी है।

चार धाम के प्रमुख धाम बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार कहलाने वाले उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशी मठ के शहर पर डूबने का खतरा है। यहां एक साल में करीब 500 घरों, दुकानों और होटलों में दरारें आई हैं। इस वजह से यह रहने योग्य भी नहीं बचे हैं। शहर के लोगों की आंदोलन की चेतावनी के बाद मंगलवार को प्रशासन ने भूवैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की 5 सदस्यीय टीम ने दरारों की जांच की। पढ़ें पूरी खबर...

तेजी से धंसने लगे हैं उत्तराखंड के पहाड़:देश के सबसे लंबे जोशीमठ-औली रोप वे पर खतरा

उत्तराखंड के जोशीमठ में पहाड़ धंस रहे हैं। जोशीमठ और मशहूर स्की रिसोर्ट औली के बीच देश के सबसे लंबे 4.15 किमी के रोप-वे पर खतरा मंडरा रहा है। रोप-वे के टावरों के पास भूस्खलन शुरू हो चुका है। पहाड़ खिसकने से डेढ़ सौ से ज्यादा रिहायशी मकानों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ में 36 परिवारों को शिफ्ट किया गया है। पढ़ें पूरी खबर...

जोशीमठ में 500 से ज्यादा घरों में दरारें, एशिया का सबसे लंबा रोपवे बंद

सरकार की कार्यशैली से नाराज लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर प्रोटेस्ट किया।
सरकार की कार्यशैली से नाराज लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर प्रोटेस्ट किया।

जोशीमठ में बने 500 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं। अब तक 66 परिवार पलायन कर चुके हैं। सुरक्षा के मद्देनजर 38 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जमीन धंसने के बाद जोशीमठ में एशिया का सबसे लंबा रोपवे बंद करने का फैसला लिया गया है। पढ़ें पूरी खबर...

जोशीमठ में बनेगा अस्थायी पुनर्वास केंद्र:CM धामी ने कहा- डेंजर जोन को तत्काल खाली कराएं

उत्तराखंड के जोशीमठ में एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हाई लेवल मीटिंग में कहा कि सुरक्षित जगह पर यह पुनर्वास केंद्र बनाया जाए। साथ ही, उन्होंने डेंजर जोन को तत्काल खाली कराने के लिए कहा। पढ़ें पूरी खबर...

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