आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है। बचपन बचाओ आंदोलन चलाने वाले कैलाश सत्यार्थी को शांति के नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। भले ही उन्होंने पाकिस्तान की मलाला युसूफजई के साथ यह पुरस्कार साझा किया था, लेकिन इससे भारत में बाल अधिकारों के लिए किए गए उनके कामों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली थी।
कैलाश सत्यार्थी का जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को हुआ। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी ने 26 वर्ष की उम्र में ही करियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू किया था उन्होंने चाइल्ड लेबर के खिलाफ अभियान चलाया और हजारों बच्चों की जिंदगियों को बचाया।
वे ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर के अध्यक्ष भी रहे हैं। सत्यार्थी पर चाइल्ड लेबर को छुड़ाने के दौरान कई बार जानलेवा हमले भी हुए हैं। 2011 में दिल्ली की कपड़ा फैक्ट्री पर छापे के दौरान और 2004 में ग्रेट रोमन सर्कस से बाल कलाकारों को छुड़ाने के दौरान उन पर हमले हुए थे।
नोबेल से पहले उन्हें 1994 में जर्मनी का द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड, 1995 में अमेरिका का रॉबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड, 2007 में मेडल ऑफ इटेलियन सीनेट और 2009 में अमेरिका के डिफेंडर्स ऑफ डेमोक्रेसी अवॉर्ड सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं।
1967: आउटर स्पेस ट्रीटी लागू हुई
आउटर स्पेस ट्रीटी को हिंदी में बाह्य अंतरिक्ष संधि भी कहा जाता है। यह ट्रीटी 27 जनवरी, 1967 को अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच हुई और आउटर स्पेस में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई थी। इस समझौते पर 105 देशों ने दस्तखत किए हैं। यह 10 अक्टूबर 1967 से लागू हुई थी।
दिसंबर-1966 में यूएन महासभा की ओर से मंजूर ट्रीटी की शर्तों के अनुसार बाहरी अंतरिक्ष पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है। सभी देशों को अंतरिक्ष अनुसंधान की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है। इस ट्रीटी पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश आउटर स्पेस का इस्तेमाल केवल शांति से जुड़े कामों के लिए कर सकते हैं। चांद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह सैनिक केंद्रों की स्थापना नहीं की जा सकेगी।
1964: एशिया में पहली बार ओलिंपिक खेलों की शुरुआत
एशिया में पहले ओलिंपिक्स 1964 में टोक्यो में 10 अक्टूबर को शुरू हुए थे। दूसरे विश्वयुद्ध की भयावहता को याद करने के लिए 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में जन्मी योशिनोरी सकाई को मशाल जलाने के लिए चुना गया था। हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को ही परमाणु बम फेंका गया था। टोक्यो ओलिंपिक पहले ऐसे ओलिंपिक रहे, जिनका प्रसारण सैटेलाइट का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका और यूरोप में किया गया। पहली बार कुछ खेलों का रंगीन प्रसारण शुरू हो सका था।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः
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