तमिलनाडु को मेहमान प्रवासी मजदूरों का इंतजार है। हर साल होली मनाने के लिए अपने राज्यों को जाने वाले उत्तर भारतीय मजदूरों में से लगभग दो लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर वापस नहीं लौटे हैं। इससे राज्य की गारमेंट और अन्य मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के हब कोयंबटूर और त्रिपुर में होली के बाद से अब तक के एक पखवाड़े में उत्पादन में लगभग 20 फीसदी तक का घाटा झेलना पड़ा है।
कोयंबटूर और त्रिपुर की लगभग 50 हजार छोटी- बड़ी फैक्ट्रियों के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है। चेन्नई की होटल इंडस्ट्री भी प्रभावित हुई है। बता दें कि उत्तर भारतीय मजदूरों पर हमलों के कुछ फर्जी वीडियो सामने आए थे। इसके बाद अफवाहों के दौर के कारण कई उत्तर भारतीय मजदूर वापसी से कतरा रहे हैं।
प्रोडक्शन करना मुश्किल हुआ
फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि प्रोडक्शन करना मुश्किल हो रहा है। उनकी मांग है कि प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जाए। कोयंबटूर इंडस्ट्रियल फेडरेशन के समन्वयक जेम्स एम. ने दैनिक भास्कर को बताया कि उत्पादन में कमी को फिलहाल फैक्ट्री मालिक मौजूदा श्रमिकों से ही किसी तरह ओवर टाइम काम करवा रहे हैं। ये वो उत्तर भारतीय मजदूर हैं जो अपने घर नहीं गए थे। जेम्स का कहना है कि प्रवासी मजदूरों के बिना प्रोडक्शन की कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं।
चेन्नई के 10 हजार होटल भी प्रभावित
चेन्नई होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष एम. रवि का कहना है कि यहां के लगभग 10 हजार होटल, कैफे, रेस्तरां और बेकरी में लगभग ढाई लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं। इनमें से लगभग 50 फीसदी वापस नहीं लौटे हैं। रवि का कहना है कि प्रवासियों में भले ही असुरक्षा की भावना फर्जी वीडियो से आई हो, लेकिन राज्य सरकार को प्रवासियों को सुरक्षा का भरोसा देना चाहिए। अन्यथा प्रवासी केरल और कर्नाटक में रोजी की तलाश में चले जाएंगे।
उत्तर भारतीय मजदूरों को फोन कर सुरक्षा का भरोसा दिला रहे
त्रिपुर एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केएम सुब्रमण्यम ने बताया कि त्योहार के बाद से प्रवासी मजदूरों के वापस नहीं लौटने से गारमेंट इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। तमिलनाडु में गारमेंट फैक्ट्रियों में 60 फीसदी मजदूर प्रवासी होते हैं।
कई फैक्ट्रियों की एचआर टीम प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार जनों को फोन कर उनकी सुरक्षा का भरोसा दिला रही है। सुब्रमण्यम का कहना है कि कई प्रवासी मजदूरों ने एक या फिर दो हफ्तों के बाद काम पर लौटने का भरोसा भी दिया है।
तमिलनाडु में लगभग 6 लाख प्रवासी मजदूर
अर्थशास्त्री और प्रवासी मजदूरों पर रिसर्च कर चुके वी. मरियाप्पन बताते हैं कि तमिलनाडु सरकार के अनुसार राज्य में 6 लाख प्रवासी मजदूर हैं। अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और प. बंगाल से हैं। पूर्वोत्तर के भी प्रवासी मजदूर हैं। तमिलनाडु में लगभग दस साल पहले प्रवासी मजदूरों को एजेंटों के मार्फत कंस्ट्रक्शन के काम के लिए लाया गया। अब इन मजदूरों पर गारमेंट-होटल इंडस्ट्री सहित गैर संगठित क्षेत्र भी निर्भर है।
अब तमिलनाडु से मजदूरों के पलायन से जुड़ी खबर पढ़ें....
1. तमिलनाडु से बिहारी मजदूरों का जान जाने की दहशत से पलायन हुआ था
उत्तर भारतीय मजदूरों पर हमलों के कुछ फर्जी वीडियो सामने आए थे। इसके बाद अफवाहों के दौर के कारण कई उत्तर भारतीय मजदूर वापसी से कतरा रहे हैं। तिरुपुर की एक चाय की दुकान में सिगरेट के धुएं से उठे विवाद को अफवाहें इतना बड़ा बवंडर बना देंगी, किसी ने सोचा नहीं था। इसके बाद तमिलनाडु में बाहरी कामगारों की प्रताड़ना की ऐसी झूठी कहानियां निकली कि उत्तर भारतीय मजदूरों खासकर बिहारी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। पूरी खबर पढ़िए...
2. बिहार की 4 सदस्यीय जांच टीम चेन्नई पहुंची थी, टीम में 2 सदस्य तमिलनाडु के रहने वाले थे
बिहारियों पढ़िए पूरी खबर...
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